वाजपेयी सरकार ने ब्रिटिश रिपोर्ट में गुजरात दंगों को पूर्व नियोजित बताने का विरोध नहीं किया था

एक्सक्लूसिव: 2002 के गुजरात दंगों पर उसी साल ब्रिटिश राजनयिकों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में दंगों को पूर्व नियोजित बताते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. तब इस रिपोर्ट के लीक होने पर विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह ने ब्रिटिश विदेश सचिव से बात की थी, पर रिपोर्ट के निष्कर्षों का विरोध नहीं किया था.

भारत में लोकतंत्र की गिरावट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा

जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.

ईपीएफओ को वित्त मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना ब्याज दर सार्वजनिक न करने का आदेश: आरटीआई

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को वित्त मंत्रालय ने सलाह दी है कि भविष्य में ब्याज दर की सिफ़ारिशों को उसके द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जाए. यह आदेश ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी की सिफ़ारिश करने के बाद जारी किया गया था.

महिला कॉन्स्टेबल पर हमले के दो हफ़्ते से अधिक समय बाद भी यूपी पुलिस के पास हमलावर का सुराग़ नहीं

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले के एक थाने में पदस्थ महिला हेड कॉन्स्टेबल 30 और 31 अगस्त की दरमियानी रात अयोध्या के सावन मेले में ड्यूटी के लिए सरयू एक्सप्रेस में सवार हुई थीं. रास्ते में किसी ने हमला कर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है.

क्या अयोध्या में लाए गए क्रूज़ का हश्र ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ की मिसाल है?

अयोध्या में बीते दिनों बड़े प्रचार के साथ सरयू नदी में शुरू की गई 'क्रूज़' सेवा जनता को लुभाने में नाकामयाब रही है. हफ्तेभर में ही कम लोगों के पहुंचने के बीच इसका किराया घटा दिया गया है. यात्रा कर चुके लोगों ने भी 'क्रूज़' के रंग-रोगन से लेकर इसमें दी जाने वाली सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं.

कर्नाटक: माहवारी से गुज़र रहीं तीन महिलाओं को बंद कमरे से मुक्त कराया गया

कर्नाटक के तुमकुरु ज़िले का मामला. अधिकारियों ने बताया कि तीन महिलाओं को ग्रामीणों द्वारा गांव के बाहर बने एक कमरे में रखा गया था, क्योंकि वे माहवारी से गुज़र रही थीं. तीनों महिलाएं गोल्ला समुदाय से हैं. समुदाय का मानना है कि माहवारी वाली और गर्भवती महिलाएं अशुभ होती हैं, इसलिए उन्हें गांव से दूर रखा जाता है.

मणिपुर महिला आयोग ने यौन हिंसा के 59 मामले दर्ज किए, पांच सीबीआई को सौंपे

मणिपुर राज्य महिला आयोग ने पिछले साल सितंबर से अब तक राज्य में बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों से संबंधित कुल 59 मामले दर्ज किए हैं. इनमें से अधिकांश मामले घाटी ज़िलों से आए हैं, जिनमें इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल और काकचिंग शामिल हैं.

मणिपुर हिंसा: डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक का अपहरण कर हत्या

मणिपुर के इंफाल पश्चिम ज़िले में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का 16 सितंबर को उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन की ओर से कहा गया है कि ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है.

कर्नाटक: ‘ऊंची जाति’ के परिवार ने दलितों की बस्ती में जाने वाली सड़क को बंद किया

कर्नाटक के मांड्या ज़िले का मामला. आरोप है कि ऊंची जाति के एक परिवार ने दलितों के घरों की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया है. ग्रामीणों ने ज़िला प्रशासन से हस्तक्षेप करने और ऊंची जाति के परिवार द्वारा अतिक्रमण की गई सड़क को खाली कराने का आग्रह किया है.

गुजरात वन विभाग ने वन्यजीव गलियारों पर इसरो की रिपोर्ट को नज़रअंदाज़ किया: कैग

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा गुजरात विधानसभा में रखी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इसरो ने 2014 और 2017 में अपने अध्ययन में 12 वन्यजीव गलियारों की पहचान की थी और इसे संभावित गलियारों में आवास सुधार की सिफ़ारिश के साथ वन विभाग के साथ साझा किया था, लेकिन उसने अध्ययन के निष्कर्षों का संज्ञान नहीं लिया.

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में खड़े एक निहत्थे पत्रकार की वेदना है

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ डॉक्यूमेंट्री घने होते अंधेरों की कथा सुनाती है कि कैसे इसके तिलस्म में देश का लोकतांत्रिक ढांचा ढहता जा रहा है और मीडिया ने तमाम बुनियादी मुद्दों और ज़रूरी सवालों की पत्रकारिता से मुंह फेर लिया है.

आरटीआई के तहत मांगी गई ‘आरोग्य सेतु’ ऐप से जुड़ी जानकारी पर केंद्र हलफनामा दायर करे: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के नवंबर 2020 के आदेश को चुनौती दी गई थी. अदालत ने ऐप से संबंधित फाइल नोटिंग और इसके निर्माण तथा विकास में शामिल लोगों के बीच हुए संचार के अलावा अन्य जानकारियों को हलफ़नामे में शामिल करने का निर्देश दिया है.

कर्नाटक: हुबली ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार

हुबली-धारवाड़ नगर निगम ने 31 अगस्त को एक प्रस्ताव पारित कर हुबली के ईदगाह मैदान पर गणेश प्रतिमा स्थापित करके गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दी थी. अंजुमन-ए-इस्लाम ने इस प्रस्ताव को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बीते वर्ष भी यहां गणेशोत्सव मनाने का विवाद अदालत में पहुंचा था.

झारखंड: बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के अधिकांश लोग स्वच्छ पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाओं से वंचित

लगभग 20,000 की आबादी और 60 किलोमीटर के दायरे में फैले झारखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को पिछले साल ही माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था. गांव, परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई एक सरकारी रिपोर्ट में क्षेत्र के निवासियों की दुर्दशा सामने आई है.

जब सांप्रदायिकता और पत्रकारिता में भेद मिट जाए, तब इसका विरोध कैसे करना चाहिए?

जब पत्रकारिता सांप्रदायिकता की ध्वजवाहक बन जाए तब उसका विरोध क्या राजनीतिक के अलावा कुछ और हो सकता है? और जनता के बीच ले जाए बग़ैर उस विरोध का कोई मतलब रह जाता है? इस सवाल का जवाब दिए बिना क्या यह समय बर्बाद करने जैसा नहीं है कि 'इंडिया' गठबंधन का तरीका सही है या नहीं.