पारदर्शिता कार्यकर्ता और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता ने गृह मंत्रालय में छह आरटीआई आवेदन दायर कर फोन टैंपिंग, मॉनीटरिंग, इंटरसेप्शन से संबंधित कई सूचनाएं मांगी थीं. मंत्रालय ने इससे इनकार कर दिया था. मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे इससे संबंधित तर्कपूर्ण फैसला लें और 31 जुलाई तक आयोग के सामने रिपोर्ट दायर करें.
एनआईए ने पिछले साल अक्टूबर में भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किया था.स्वामी ने सरकारी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह से इनकार करते हुए कहा कि वह भर्ती नहीं होना चाहते, उसकी जगह कष्ट सहना पसंद करेंगे और संभवत: स्थितियां जैसी हैं, वैसी रहीं तो जल्द ही मर जाएंगे. उन्होंने कहा कि जो दवाइयां वे दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा मजबूत मेरी गिरती हालत है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने जनवरी 2020 में पुलिस अधिकारी दविंदर सिंह को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर एक गाड़ी में दो आतंकियों के साथ पकड़ा था. सिंह पर एनआईए ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को मदद देने का आरोप लगाया है.
भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पिछले साल एनआईए ने उन्हें गिरफ़्तार किया था. पार्किंसन जैसी बीमारी से जूझने के बावजूद उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन के संबंध में साल 2018 से अब तक 15 अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इनके परिजनों ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए इनकी रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि ये सभी लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से एक कार्यकर्ता को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.
गौतम नवलखा ने मांग की थी कि चार्जशीट दायर करने की समयमीमा में साल 2018 में उनकी 34 दिनों की ग़ैर क़ानूनी हिरासत को भी शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.
केरल के चार सांसदों और दो विधायकों समेत अकादमिक जगत के लोगों तथा कार्यकर्ताओं की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू को कोरोना वायरस से बचाने के लिए ये क़दम उठाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में उन्हें ग़लत तरीके से फंसाया गया है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने कहा है कि उनके खिलाफ मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था, जिसे एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से बरामद होने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि उनके ख़िलाफ़ इकट्ठा किए गए सबूत फ़र्ज़ी हैं और उन्हें प्लांट किया गया है.
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास वाहन मिलने व व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत मामलों में गिरफ़्तार निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे ने दावा किया कि अनिल देशमुख ने मुंबई पुलिस में उनकी सेवाएं जारी रखने के लिए उनसे दो करोड़ रुपये मांगे थे. वझे ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य मंत्री अनिल परब ने उनसे मुंबई के कुछ ठेकेदारों से पैसे एकत्र करने को कहा था.
मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे से मुंबई के बार और होटलों से प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था. मामले में केस दर्ज न कराने पर हाईकोर्ट ने सिंह से कहा कि आप वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं. ग़लत काम के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराना आपकी ज़िम्मेदारी थी.
अकादमिक जगत के कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि जब भी जांच एजेंसियां डिजिटल डिवाइस ज़ब्त करती हैं, तब कई वर्षों में तैयार किए गए उनके शोध कार्यों पर ख़तरा बढ़ जाता है, वे ख़राब हो जाते हैं या ग़ायब हो जाते हैं. याचिका में इस संबंध में दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया है.
राज्य सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल करेंगे, जिन्हें छह महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है. मुंबई पुलिस आयुक्त पद से तबादले के बाद परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर सचिन वझे को सौ करोड़ रुपये वसूली का लक्ष्य देने का आरोप लगाया था.
एल्गार परिषद मामले में अक्टूबर 2020 में हिरासत में लिए गए 84 वर्षीय स्टेन स्वामी पार्किंसन समेत कई बीमारियों से पीड़ित हैं. मेडिकल आधार पर उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज होने के विरोध में जारी बयान में कहा गया है कि वे उन हज़ारों विचाराधीन क़ैदियों के प्रतीक हैं जो सालों से यूएपीए के फ़र्ज़ी आरोपों में जेल में हैं.
अक्टूबर, 2019 में लंदन में मणिपुर के महाराजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले मणिपुर के दो अलगाववादी नेताओं- याम्बेन बीरेन और नरेंगबाम समरजीत सिंह ने ब्रिटेन से ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की घोषणा कर दी थी. इसके बाद मणिपुर सरकार ने एक मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया था.