एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा और सागर गोरखे जेल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों ने बताया कि क़ैदियों द्वारा मच्छरदानी का उपयोग देना जोख़िम भरा है, क्योंकि इनका उपयोग कोई व्यक्ति स्वयं या दूसरों का गला घोंटने के लिए कर सकता है. इधर, अदालत ने मामले में शोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग और महेश राउत की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी है.
अमेरिकी संसद में भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर फादर स्टेन स्वामी की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी एक प्रस्ताव पेश किया गया. प्रस्ताव में मानवाधिकार रक्षकों और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के दुरुपयोग पर भी चिंता व्यक्त की. एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार 84 साल के स्टेन स्वामी का पांच जुलाई 2021 को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए हिरासत में निधन हो गया था.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. उन्हें चिकित्सा ज़मानत मिली थी और जुलाई में आत्मसमर्पण करना है. याचिका में कहा गया है कि आगे की कोई भी क़ैद उनके ख़राब होते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके लिए मौत की घंटी होगी.
उदयपुर में दिनदहाड़े की गई एक शख़्स की हत्या की राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल, पिनराई विजयन, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी जैसे विभिन्न दलों के नेताओं ने एक सुर में निंदा की है. मुस्लिम संगठनों ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि देश के मुस्लिम तालिबानी मानसिकता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
क्या यासीन मलिक उन पर लगे आरोपों के लिए दोषी हैं? यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वह नहीं है, लेकिन जो सरकार बरसों के संघर्ष का शांति से समाधान निकालने को लेकर गंभीर हैं, उनके पास ऐसे अपराधों से निपटने के और तरीके हैं.
यासीन मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) - के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. बीते 10 मई को मलिक ने 2017 में घाटी में कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में अदालत के समक्ष सभी आरोपों के लिए दोष स्वीकार कर लिया था.
एल्गार परिषद मामले के आरोपियों- वरवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गॉन्जाल्विस द्वारा दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट ज़मानत देने से इनकार किया गया था.
कर्नाटक हाईकोर्ट की एक पीठ सलीम ख़ान नाम के एक शख़्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उनके ख़िलाफ़ 2020 में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. एनआईए के अनुसार, ख़ान अल-हिंद समूह से जुड़े हुए हैं, जो कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों में शामिल है.
जस्टिस साधना जाधव मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग करने वाली तीसरी न्यायाधीश हैं. इस साल की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसएस शिंदे और न्यायाधीश पीबी वराले ने एल्गार परिषद मामले से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया था.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी बनाए गए सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े ने अप्रैल 2020 में अदालत के आदेश के बाद एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. दो साल बाद भी उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप साबित होने बाक़ी हैं. उनकी पत्नी रमा तेलतुम्बड़े ने इन दो सालों का अनुभव साझा किया है.
बीते तीन अप्रैल को गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के गेट पर एक युवक ने धार्मिक नारे लगाते हुए मंदिर में घुसने की कोशिश की थी और सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. युवक की पहचान अहमद मुर्तजा अब्बासी के रूप में हुई थी, जिसने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.
एल्गार परिषद मामले में 83 वर्षीय वरवरा राव पिछले साल फरवरी से अस्थायी चिकित्सा ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. उन्होंने ज़मानत पर बाहर रहते हुए अपने गृह नगर हैदराबाद में रहने और सुनवाई पूरी होने तक स्वास्थ्य आधार पर स्थायी ज़मानत का अनुरोध किया था. हालांकि अदालत ने इससे इनकार कर दिया.
महाराष्ट्र की तलोजा जेल में एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जेल अधिकारियों ने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक पीजी वुडहाउस की एक किताब देने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने तर्क दिया था कि इससे 'सुरक्षा को ख़तरा' हो सकता था.
एनआईए ने 2017 में टेरर फंडिंग का यह मामला दर्ज कर कश्मीर के 17 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र पेश किया था. अदालत ने इनमें से कश्मीरी पत्रकार कामरान यूसुफ़, वेंडर जावेद अहमद और अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी को बरी कर दिया है. बाकी 14 आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी और यूएपीए के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए गए हैं.
बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की 20 फरवरी की रात को डोड्डापेट थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और पत्थरबाज़ी एवं आगजनी की घटना हुई थी. पुलिस ने मामले के दस संदिग्धों पर यूएपीए लगाते हुए कहा है कि हत्या के पीछे किसी बड़ी साज़िश का संदेह है.