द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के समय अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चिंता जताई थी. इसकी आलोचना करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि जब ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति थे, तब छह मुस्लिम-बहुल देशों पर 26,000 से अधिक बमों से हमला किया गया था.
नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि 'सेंगोल' नामक स्वर्ण राजदंड 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था. हालांकि, ऐतिहासिक प्रमाण इसकी पुष्टि नहीं करते.
‘वित्त विधेयक 2023’ को 45 संशोधनों के साथ बीते शुक्रवार को लोकसभा में पारित किया गया. इस दौरान विपक्षी सदस्य अडानी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग कर रहे थे. बीते 23 मार्च को केंद्रीय बजट को बिना बहस के सिर्फ़ 12 मिनट में पारित कर दिया गया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सात फरवरी को संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के बीच संबंधों को लेकर कई टिप्पणियां की थीं. कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि राहुल के भाषण के 18 अंशों को संसदीय रिकॉर्ड से हटाकर लोकसभा में लोकतंत्र ख़त्म किया गया. इस बीच राज्यसभा में चर्चा के दौरान अपनी कही गईं बातों के कुछ हिस्से को कार्यवाही से हटाए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी आपत्ति
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के ख़िलाफ़ ‘स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी’ के आरोपों के बाद समूह के शेयरों में गिरावट शुरू होने के बीच अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सरकार ने कहा कि एसबीआई और एलआईसी ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके द्वारा दिया गया क़र्ज़ अनुमति सीमा के भीतर है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि नई कर व्यवस्था का करदाताओं की बचत पर बुरा असर पड़ेगा. संस्था ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि नई कर व्यवस्था में कुछ इस तरह का बदलाव किया जाए, जिससे मध्य वर्ग बचत करने को प्रेरित हो. आरएसएस से ही जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने भी बजट पर निराशा जताई है.
विभिन्न अधिकार समूहों का कहना है कि बजट में विशेष रूप से सक्षम समुदाय के लिए कुछ अलग नहीं है. वहीं, कई वरिष्ठ नागरिक असुरक्षित हैं और उन तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयासों की ज़रूरत है. बाल अधिकार संरक्षण से जुड़ी प्रमुख संस्था ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ ने कहा है कि लगता है कि बच्चे बजट की प्राथमिकता में छूट गए हैं.
मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने की दिशा में काम करने वाले संगठन ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ की ओर से कहा गया है कि इस बार के बजट में सफाई कर्मचारियों की मुक्ति, पुनर्वास और कल्याण के लिए एक भी शब्द नहीं कहा गया और न ही इस मद में धन का आवंटन किया गया है. यह हमारे समाज के साथ धोखा है.
अमेरिकी निवेशक अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद समूह के शेयरों में गिरावट देखी गई है. समूह के शेयरों में निवेश की वजह से एलआईसी और एसबीआई जैसे सरकार-नियंत्रित वित्तीय संस्थानों के बाज़ार पूंजीकरण में भी गिरावट दर्ज हुई है.
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि अगर भारत आर्थिक मंदी का सामना करता है तो यह जून के बाद ही होगा, लेकिन केंद्र ऐसी स्थिति से बचने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है.
बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली माताओं के एक समूह ‘वारियर मॉम्स’ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि अभी औसतन 1,000 रुपये से ऊपर चल रहे सिलेंडर को ख़रीदने में असमर्थ वंचित परिवार ईंधन के लिए लकड़ी या कंडे जलाने पर निर्भर हैं, जिससे गर्भ में ही बच्चे की मौत होने, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं आ रही हैं.
राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन के तहत केंद्र की महत्वाकांक्षी संपत्ति मौद्रिकरण योजना में वित्त वर्ष 2022-23 में रेलवे, दूरसंचार व पेट्रोलियम क्षेत्र तय निर्धारित लक्ष्यों से पिछड़ गए हैं, जिसके चलते योजना लक्ष्य से चूकती दिख रही है. नतीजतन, राजस्व और निवेश में लक्ष्य के मुकाबले लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये की कमी हो सकती है.
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के पीछे उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, जाली नोटों पर लगाम लगाना और काले धन को रोकना था. हालांकि, आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी से पहले चलन में मुद्रा या नोट 17.74 लाख करोड़ रुपये थे, जो 23 दिसंबर 2022 को बढ़कर 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गए.
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के अनुपालन में की जा रहीं कुछ गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के साथ-साथ क़ानून के अनुपालन में अनियमितता पर अभियोजन शुरू करने की सीमा को एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने पर भी सहमति दी गई है.