असम विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर नागरिकता संशोधन क़ानून पर बोलने से बचने का आरोप लग रहा है, जबकि सीएए विरोधी आंदोलनों से निकले राजनीतिक दलों के साथ विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हैं. उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर सीएए लागू नहीं होने देंगी.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा असम के दो दिवसीय दौरे के दौरान तेज़पुर में ‘पांच गारंटी’ अभियान की शुरुआत की और कहा कि भाजपा नेता जहां कहीं भी जाते हैं, सीएए के बारे में बात करते हैं, लेकिन असम में इस बारे में बोलने के लिए उनमें साहस नहीं है.
स्थानीय समाचार वेबसाइट ‘प्रतिबिंब लाइव’ ने असम सरकार के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की बेटी को गले लगाती एक तस्वीर साझा की थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. पुलिस ने वेबसाइट के मुख्य संपादक और न्यूज़ एडिटर को गिरफ़्तार करते हुए कहा कि यह फोटो ‘गलत मंशा’ से शेयर की गई थी.
जनजाति संगठन इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्विप्रा का कहना है कि उनकी पार्टी के चार कार्यकर्ताओं को पिछले साल दिसंबर में ढलाई ज़िले के गांडाचेरा से गिरफ़्तार किया गया था, उन पर बिना किसी सबूत के उग्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
असम में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए थे. अब एनआरसी समन्वयक हितेश शर्मा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में दायर एक हलफ़नामे में कहा है कि वह सप्लीमेंट्री सूची थी और उसमें 4,700 अयोग्य नाम शामिल हैं.
असम में 40 सदस्यीय बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद चुनावों के लिए दूसरे चरण का मतदान 10 दिसंबर को होगा. यह चुनाव केंद्र, राज्य और बोडो समूहों के बीच इस साल जनवरी में लंबे समय से चले आ रहे बोडो मुद्दे को लेकर हुए समझौतों के बाद हुआ है. असम में कुछ आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान की गई है.
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर की अगुवाई में मणिपुर प्रेस क्लब में विरोध प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने फ्रीडम ऑफ प्रेस की मांग की. उग्रवादी संगठन का नाम बताने से इनकार करते हुए मीडिया समूहों ने कहा कि यह उनके आंतरिक संघर्ष का नतीजा है.
द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम पर एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिये सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोप में हुई एफआईआर को हाईकोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया है. मुखीम का कहना है कि एडिटर्स गिल्ड सिर्फ सेलिब्रिटी पत्रकारों का ही बचाव करती है, उनके मामले पर उसने चुप्पी साध रखी है.
द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रीशिया मुखीम ने राज्य में ग़ैर-आदिवासी छात्रों पर हुए हमले को लेकर एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी, जिसके लिए उन पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.
एक महिला को असम के नलबाड़ी ज़िले की विदेशी अधिकरण ने साल 2019 को विदेशी घोषित किया था, उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से एक विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का कहा है.
31 अगस्त 2019 को जारी हुई असम एनआरसी की अंतिम सूची में 3.3 करोड़ आवेदनकर्ताओं में से 19 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं आए थे. ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी से बाहर किए गए 19 लाख लोगों में से कई वास्तविक भारतीय नागरिक हैं.
एनआरसी असम के समन्वयक हितेश देव शर्मा ने सभी उपायुक्तों और नागरिक पंजीयन के जिला पंजीयकों को लिखे पत्र में कहा है कि फाइनल सूची में घोषित विदेशी, डी वोटर्स और विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित श्रेणियों के लोगों के नाम हैं और इनकी पहचान कर इन्हें डिलीट किया जाए.
त्रिपुरा में एक राजनीतिक पार्टी के प्रदर्शन को कवर करने गए स्थानीय टीवी चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक की 20 सितंबर 2017 को हत्या कर दी गई थी. जून 2018 में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने मामला सीबीआई को सौंपा था. अब पत्रकारों ने जांच की धीमी रफ्तार को लेकर नाराज़गी जताई है.
एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के एक साल बाद भी इसमें शामिल नहीं हुए लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए ज़रूरी रिजेक्शन स्लिप का इंतज़ार है. प्रक्रिया में हुई देरी के लिए तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर कोरोना जैसे कई कारण दिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वजह केवल यही नहीं है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि असम को हाल ही में पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों पर हुए उग्रवादी हमलों और विभिन्न हिस्सों से अवैध हथियार और विस्फोटक बरामद होने के कारण अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है.