नोटबंदी और जीएसटी लाए जाने के दो साल बाद केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योगों पर इन दोनों के प्रभाव के बारे में संसद को गुमराह किया. सरकारी आश्वासनों पर संसदीय समिति ने भ्रामक बयानों और पूरा सच न बताने के लिए सरकार को फटकारा था और दोनों निर्णयों से हुए नुकसान का फैक्ट-चेक भी किया था.
वीडियो: इन दिनों भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) कार्यालयों के बाहर लोग अपने 2,000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए कतारों में खड़े नज़र रहे हैं. जब द वायर की टीम नई दिल्ली में आरबीआई कार्यालय पहुंची तो उन्हें ब्लैक में इन नोटों को बदलने के अवैध प्रयास का पता चला. यहां 200 रुपये के अतिरिक्त भुगतान पर इन नोटों को बदले जाने की जानकारी मिली.
अगर नकदी जमा सावधि और बचत जमा के लिए 10 लाख रुपये और चालू खाता जमा के लिए 50 लाख रुपये की सीमा से ऊपर हैं, तो बैंकों को इसकी जानकारी आयकर विभाग को मुहैया करानी होगी.
2,000 रुपये के नोट रखने वालों के लिए अब एक स्पष्ट प्रोत्साहन है कि वे बैंक में पैसे जमा करने के बजाय सिर्फ एक्सचेंज के लिए जाएं और आयकर उद्देश्यों के लिए जांच की जाए. हालांकि, नोट एक्सचेंज करने को काफी मुश्किल बना दिया गया है क्योंकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये ही बदले जा सकते हैं.
वीडियो: 2,000 रुपये का नोट क्यों जारी किया गया था और इसकी वापसी क्यों हुई? क्या काला धन ख़त्म हो गया है? क्या भारत में इस नोट की ज़रूरत है?
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दो जनवरी को 4:1 के बहुमत के फैसले में नोटबंदी के फैसले पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा था कि 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की निर्णय प्रक्रिया न तो त्रुटिपूर्ण थी और न ही जल्दबाजी में लिया गया फैसला.
नोटबंदी पर अपने अल्पमत के फैसले में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मोदी सरकार के इस क़दम पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अधिसूचना की बजाय इसके लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसे लेकर आरबीआई ने स्वतंत्र रूप से सोच-विचार नहीं किया और पूरी कवायद 24 घंटे में कर दी गई.
एक मीडिया रिपोर्ट ने नोटबंदी की निर्णय संबंधी प्रक्रिया का हिस्सा रहे एक उच्चस्तरीय सूत्र के हवाले से दावा किया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में इस मुद्दे पर उचित चर्चा नहीं हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार मोदी सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को 4:1 के बहुमत से वैध क़रार दिया था.
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि 'कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम की ओर बढ़ना' सरकार की नीति है.
मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय के ख़िलाफ़ कई याचिकाएं सुन रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत सरकार के फैसले के गुण-दोष पर नहीं जाएगी, लेकिन वह हमेशा निर्णय लेने के तरीके पर गौर कर सकती है. सिर्फ इसलिए कि यह एक आर्थिक नीति है, इसका मतलब यह नहीं होगा कि अदालत चुपचाप बैठ जाएगी.
मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ से केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने हलफ़नामा तैयार न होने की बात कहते हुए कार्रवाई स्थगित करने को कहा था. कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ ऐसे काम नहीं करती और यह बहुत असहज करने वाली स्थिति है.
कई जानकार कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल के नोट-राग ने ज़रूरी मुद्दों व जवाबदेहियों से देशवासियों का ध्यान भटकाकर लाभ उठाने में भाजपा की बड़ी मदद की है. ये जानकार सही सिद्ध हुए तो केजरीवाल की पार्टी की हालत ‘माया मिली न राम’ वाली भी हो सकती है.
अरविंद केजरीवाल के 'देश की तरक्की के लिए लक्ष्मी-गणेश का चित्र नोटों पर छापने' की सलाह से पहले देश ने पैसों के बारे में ऐसा अहमक़ाना प्रस्ताव 2016 में देखा था, जब देश के प्रधानमंत्री ने अचानक चलन में रहे अस्सी फीसदी नोटों को रातोंरात अवैध बताकर भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने का दावा किया था.
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष के रूप में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2016 में अपने कर्मचारियों पर 1400 करोड़ रुपये के पुराने नोटों को बदलने के लिए दबाव डाला था और एक खादी लाउंज की साज-सज्जा का ठेका अपनी बेटी को दिया था. राज्यपाल ने बीते पांच सितंबर को आप नेताओं को मानहानि नोटिस भेजा था.
आम आदमी पार्टी के ने आरोप लगाया है कि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष के रूप में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2016 में अपने कर्मचारियों पर 1,400 करोड़ रुपये के पुराने नोटों को बदलने के लिए दबाव डाला था और एक खादी लाउंज की साज-सज्जा का ठेका अपनी बेटी को दिया था.