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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.
मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. नेशनल पीपुल्स पार्टी सात सीटों पर जीत हासिल की. जदयू सात सीटों पर विजयी रही, जबकि 2017 में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस को इस बार महज़ पांच सीटों जीतकर संतोष करना पड़ा.
मणिपुर के विधानसभा चुनाव में अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भाजपा ने 15 सीटों पर जीत हासिल की है और चौदह पर आगे चल रही है. रुझानों से साफ हो गया है कि भाजाप बड़ी पार्टी के तौर पर उभर रही है. हेनगांग से जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि भाजपा समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, लेकिन एनपीपी की मदद नहीं ले सकती.
मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने बीते 17 जून को उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था, जब छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था, जबकि भाजपा के तीन विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
पूर्वोत्तर के भाजपा नेता मणिपुर में एनपीपी विधायकों के इस्तीफ़े के बाद गठबंधन टूटने से ख़तरे में आई भाजपा नीत एन. बीरेन सिंह सरकार को बचाने की हरसंभव क़वायद करते नज़र आ रहे हैं. नाराज़ एनपीपी विधायकों को केंद्रीय नेतृत्व से मिलवाने दिल्ली लाया गया है.
वीडियो: मणिपुर में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार मुसीबत में आ गई है. भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री वाई. जॉयकुमार सिंह समेत चार मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. इस मुद्दे पर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती का नज़रिया.
मणिपुर में भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री वाई. जॉयकुमार सिंह समेत चार मंत्रियों के इस्तीफ़े बाद सरकार संकट में आ गई है. जॉयकुमार का कहना है कि भाजपा अपने ही सहयोगियों पर हमला करती रहती है, हम ऐसे व्यवहार को कैसे स्वीकार कर सकते हैं.
साक्षात्कार: छह साल से मणिपुर की एक मां अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए भटक रही है. उनके बेटे की हत्या का आरोप राज्य के मुखिया एन. बीरेन सिंह के बेटे पर है.
जब तक इरोम अनशन कर रही थीं, वे मणिपुरी जनता के लिए ‘आइकॉन’ थीं, संघर्ष का प्रतीक थीं, मणिपुर क्या, देश भर के लोग उन्हें ‘हीरो’ मानते थे, पर नायक तो वोट नहीं मांगते! ये कुछ उस तरह था कि भगवान ज़मीन पर आ जाएं, शादी करके आम ज़िंदगी बिताना चाहें या अपने लिए चुनाव में वोट मांगें. उनके ऐसा करते ही उनके भक्त घबरा जाते हैं.
मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार ने सोमवार को 32 विधायकों के समर्थन से विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया.
आफ्स्पा के ख़िलाफ़ जब इरोम की लड़ाई शुरू हुई तब मणिपुर के हालात अलग तरह के थे. 16 साल पहले का मणिपुर अब काफी बदल चुका है.
इरोम पीपुल्स रिइंसर्जेंस एंड जस्टिस अलाएंस नाम की पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरी थीं. इरोम से ज़्यादा नोटा को मिले वोट.