मणिपुर सर्वदलीय बैठक: पूर्व सीएम इबोबी सिंह बोले- अमित शाह ने बात रखने को पर्याप्त समय नहीं दिया

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.

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ओकराम इबोबी सिंह. (फाइल साभार: फेसबुक)

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.

ओकराम इबोबी सिंह. (फाइल साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने बीते 24 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बाद कहा कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपने सुझाव देने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया.

इबोबी सिंह- जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निवर्तमान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के 2017 में सत्ता संभालने से पहले लगातार 15 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री थे – बैठक में मणिपुर से एकमात्र प्रतिनिधि थे.

बाकी आमंत्रितों में मेघालय और सिक्किम के मुख्यमंत्री भी शामिल थे.

बाद में, कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष इबोबी सिंह ने कहा कि उन्हें बैठक में बोलने के लिए मुश्किल से ‘सात-आठ मिनट’ का समय दिया गया था.

सिंह ने कहा कि उन्होंने शाह के संबोधन के बाद हस्तक्षेप किया और अपनी व अपनी पार्टी की बात एक साथ रखने के लिए कहा. इसमें राज्य में बड़े पैमाने पर हो रही हिंसा पर काबू पाने के सुझाव भी शामिल थे.

हालांकि, सिंह ने बताया कि उन्हें विस्तार से अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री ने मुझे समय देने से इनकार कर दिया और कहा कि इबोबी, आप बाद में आकर मुझसे मिल सकते हैं.’

सिंह ने आगे कहा, ‘यह मेरे लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री द्वारा उन्हें अपने भाषण के बीच में रुकने के लिए कहने के संभावित कारणों को भी रेखांकित किया.

सिंह ने बताया, ‘मैंने दो बातें कहकर शुरुआत की. एक तो यह कि मणिपुर में 50 दिनों की हिंसा के बाद आखिरकार सरकार जो सर्वदलीय बैठक कर रही है, उसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी. मैंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने अब तक मणिपुर के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला है. चुनाव के दौरान चीजें अलग हो सकती हैं, लेकिन चुनाव के बाद एक प्रधानमंत्री सभी का प्रधानमंत्री होता है.’

सिंह ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि राज्य के लोगों को यह संदेश देने के लिए कि केंद्र सरकार राज्य में शांति एवं सामान्य स्थिति के प्रति गंभीर है और उनकी पीड़ा को राष्ट्रीय स्तर पर महसूस किया गया है, सर्वदलीय बैठक नई दिल्ली के बजाय इंफाल (मणिपुर की राजधानी) में आयोजित की जानी चाहिए थी.

उन्होंने कहा, ‘हम एक छोटा राज्य हो सकते हैं, लेकिन हम म्यांमार से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करके देश को सुरक्षित भी रखते हैं.’

सिंह ने बताया कि यह विचार व्यक्त करने के तुरंत बाद ही शाह द्वारा उन्हें अपना भाषण समाप्त करने के लिए कहा गया. चूंकि उसके बाद उन्हें कोई समय नहीं दिया गया, इसलिए कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में सरकार को सुझाव देने के लिए तैयार किए गए आठ बिंदुओं को जारी कर दिया.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश ने 24 जून की शाम को प्रेस वार्ता में सिंह के साथ मंच साझा करते हुए निम्नलिखित बातें कहीं;

1. इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी, जिन्होंने पिछले 50 दिनों में मणिपुर पर एक भी शब्द नहीं बोला है.

2. बेहतर होता अगर इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते और यह इंफाल में होती. इससे मणिपुर के लोगों को स्पष्ट संदेश जाता कि उनका दर्द और उनकी पीड़ा भी राष्ट्रीय शोक का विषय है.

3. बिना किसी समझौते के सभी सशस्त्र समूहों को तुरंत निशस्त्र किया जाना चाहिए.

4. राज्य सरकार प्रभावी शासन प्रदान करने में बुरी तरह विफल रही है, वो भी तब जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी. खुद मुख्यमंत्री दो बार सार्वजनिक रूप से स्थिति को संभालने और संकट से निपटने में अपनी विफलता को स्वीकार कर चुके हैं. उन्होंने लोगों से माफी भी मांगी है. उन्होंने कुकी हितों के समर्थक होने का दावा करने वाले कुछ उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) त्रिपक्षीय समझौते को 11 मार्च 2023 को मानने से इनकार कर दिया. उनके इस कदम को बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था. बड़ी गलतियों की कड़ी में यह सबसे बड़ा उदाहरण है. मुख्यमंत्री को तुरंत बदला जाना चाहिए.

5. मणिपुर की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

6. प्रत्येक समुदाय की शिकायतों को संवेदनशीलता से सुना जाना चाहिए और उन पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

7. केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों को हर समय खुला रखने और इनकी सुरक्षा को लेकर कदम उठाया जाना चाहिए.

8. बिना देर किए प्रभावितों के लिए राहत, पुनर्वास, पुनर्स्थापन और आजीविका पैकेज तैयार किया जाना चाहिए. घोषित राहत पैकेज बिल्कुल अपर्याप्त है.

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