पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफ़ारिश पर केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. हालांकि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि समिति की कुछ सिफारिशें त्रुटिपूर्ण हैं.
'एक देश एक चुनाव' के प्रस्ताव में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ स्थानीय निकायों के चुनाव भी एक साथ कराए जाने की सिफ़ारिश की गई है. विपक्ष का कहना है कि यह अव्यावहारिक और लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मानना है कि देश में एक साथ चुनाव कराने से चुनाव की लागत कम होगी. साथ ही, उन्होंने कहा कि हमने अपने संकल्प पत्र में लिखा है कि भाजपा का लक्ष्य पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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केंद्र सरकार ने पिछले साल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति का गठन किया था. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार, संसद और चुनाव आयोग को इसके बजाय लोगों के जनादेश का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
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विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार कर रही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति से कहा है कि ऐसा 2029 के लोकसभा चुनावों तक ही संभव हो सकेगा क्योंकि राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ा या घटाकर सभी चुनावों को एक साथ कराने का फॉर्मूला तैयार करना है.
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) बनाने के लिए ज़रूरी सेमीकंडक्टर और चिप्स की कमी है, जिसका अर्थ है कि एक साथ मतदान के लिए निर्वाचन आयोग को तैयार होने में तक़रीबन एक साल तक का समय लगेगा.
वीडियो: लोकसभा और विधानसभा एक साथ चुनाव करवाने की संभावनाओं को लेकर सरकार ने एक समिति बनाई है, जिसकी अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं. हालांकि, इसे लेकर जिस तरह के तर्क दिए जा रहे हैं. वे व्यवहारिकता की कसौटी पर सही नहीं उतरते.
वीडियो: मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावना के आकलन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है, जिसे विपक्ष ने संघवाद पर हमला बताया है. इस बारे में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी से वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान की बातचीत.
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वीडियो: 18 से 22 सितंबर के बीच संसद के एक विशेष सत्र का आयोजन होने वाला है. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि ये विशेष सत्र ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बुलाया गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक एजेंडे में से एक है. इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
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तमाम संसाधनों, समर्थक मीडिया और एकपक्षीय माहौल के बावजूद अगर महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में इस तरह के नतीजे आए हैं तो इससे एक बार फिर यह बात साबित हुई है कि चुनाव केवल मैनेजमेंट और पैसे के बल पर नहीं जीता जा सकता है.