योग गुरु और कारोबारी रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को इस सप्ताह देश की तीन अलग-अलग अदालतों से झटका लगा है. हालांकि, उनके लिए यह कुछ नया नहीं है. जैसे-जैसे उनका व्यापारिक साम्राज्य बढ़ा है, आए दिन उनसे जुड़े विवाद सामने आते रहे हैं.
पतंजलि ने योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए एक चैरिटेबल संस्था की स्थापना की थी. हालांकि, इसने सालों तक कोई चैरिटी का काम तो नहीं किया, बल्कि इसका इस्तेमाल इस समूह के बढ़ते कारोबार को मज़बूत करने के लिए किया गया.
'पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी' को लेकर शिकायतें सामने आने के बाद इसके सैंपल इकट्ठा कर प्रयोगशाला में जांच कराई गई थी, जिसमें यह मानकों पर खरी नहीं उतरी. इसके बाद कंपनी के सहायक प्रबंधक समेत, वितरक और विक्रेता के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.
उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पिछले माह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. अब राज्य के आयुष विभाग ने उक्त आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, बाबा रामदेव के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं और पतंजलि के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं. इसकी प्रतिक्रिया में कंपनी के निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने उन्हें क़ानूनी नोटिस भेजकर मीडिया के माध्यम से माफ़ी मांगने को कहा है.
चेन्नई की कंपनी अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल कर कहा गया है कि ‘कोरोनिल’ साल 1993 से उसका ट्रेडमार्क है. यह कंपनी भारी मशीनों और कंटेनमेंट इकाइयों को साफ़ करने के लिए रसायन एवं सैनेटाइज़र बनाती है.
दिल्ली में आयोजित फूड वर्ल्ड इंडिया कार्यक्रम में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बदल और पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी में यह समझौता हुआ.
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 1994 में उन्हें वनीकरण के लिए 30 वर्षों के लिए ज़मीन आवंटित हुई थी, जिसे अब यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने अवैध तरीके से पतंजलि को दे दिया है.
आरोप है कि नागपुर में बाबा रामदेव को फूड पार्क के लिए एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ की ज़मीन को सिर्फ 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव में दे दिया गया.