पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा सनातन धर्म की अवधारणा पर आयोजित सम्मेलन में राज्य कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू और मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक समारोह में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अगर केंद्र सरकार निजीकरण करके सब कुछ निजी हाथों में सौंप देती है तो जिन लोगों को हमने अधिकार दिलाए, वह उन्हें खो देंगे. इतने संघर्षों के बाद हमने जो कुछ भी हासिल किया, वह सब हम खो देंगे.
बीते दिनों तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा आयोजित 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में टिप्पणियों और उक्त सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की गई है.
उदयनिधि के बयान पर हुई प्रतिक्रिया से ज़ाहिर होता है कि हिंदू ख़ुद को सनातनी कह लें, पर अपनी आलोचना नहीं सुन सकते. फिर वे उदार कैसे हुए?
19वीं सदी में आर्य समाज और ब्रह्म समाज जैसे सुधारवादी संगठनों के ख़िलाफ़ आंदोलन के दौरान हिंदू पुरातनपंथियों (ऑर्थोडॉक्सी) ने तब सनातन धर्म की अवधारणा को आकार देने का काम किया था, जब इन सुधारवादी संगठनों द्वारा सती प्रथा, मूर्ति पूजा और बाल विवाह जैसी प्रतिगामी प्रथाओं पर सवाल उठाए गए थे.
राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति ने हाल ही में कक्षा 6 से 10 तक की सामाजिक विज्ञान और कक्षा 1 से 10 तक की कन्नड़ भाषा की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन करते हिए भगत सिंह, टीपू सुल्तान, पेरियार आदि से संबंधित अध्यायों को कथित तौर पर पाठ्यक्रम से हटाया या संक्षिप्त कर दिया है. वहीं, दसवीं की एक किताब में संघ संस्थापक केबी हेडगेवार का एक भाषण शामिल किया गया है.
जन गण मन की बात 206वीं कड़ी में विनोद दुआ मूर्तियों की तोड़फोड़ और भारत में मांसाहार पर चर्चा कर रहे हैं.