राज्यों के बजट आवंटन से असंतुष्ट विपक्षी सांसदों का राज्यसभा से वॉकआउट, विरोध प्रदर्शन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश किए गए बजट को 'भेदभावपूर्ण' बताते हुए विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही वॉकआउट कर दिया.

धर्म के नाम पर हिंसा करना लोकप्रिय हो गया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने का ठेका न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को, न भाजपा को, न किसी राजनेता को मिला हुआ है. ये सभी स्वनियुक्त ठेकेदार हैं, जिनका सामाजिक आचरण हिंदू धर्म के बुनियादी सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.

दुचित्तेपन से मुक्ति

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: दुचित्तेपन से मुक्त होने का आशय यह नहीं है कि हम ख़ुद को संसार में विकसित चिंतन-सृजन आदि से विमुख कर लें और आधुनिकता संपन्न मानकर किसी छद्म आत्मगौरव में इठलाने लगें. दुचित्तेपन से मुक्ति एक दुधारी आलोचना दृष्टि से ही मिल सकती है.

‘कर्फ़्यू की रात’: हिंदुस्तान की रगों में बह रही सांप्रदायिकता का दस्तावेज़

पुस्तक समीक्षा: युवा कहानीकार शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’ की कहानियां अपने परिवेश को न केवल दर्शाती हैं, बल्कि इसमें समय के साथ बदलते हिंदुस्तान की जटिलता, संघर्ष में पिसते नागरिकों की निराशा और जिजीविषा गहराई से दर्ज है.

लोकसभा के नतीजों से पता चलता है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का विचार उचित है. भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, यह बात चुनाव के नतीजों से ही पता चलती है.

राजनीति में नीति की शून्यता हमें बेचैन नहीं करती

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारे सामाजिक आचरण की सारी मर्यादाएं तज दी गई हैं. देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद में ख़रीद-फ़रोख़्त का काम हो सकता है तो हम इसे राजनीतिक लेन-देन समझते हैं जो होता ही रहता है. हम ऐसा लोकतंत्र बनते जा रहे हैं जिसमें मर्यादा और नैतिक कर्म की जगह घट रही है.

झुलसाती गर्मी: क्या हीटवेव का असर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर नहीं पड़ रहा?

भारत में रिकॉर्ड तापमान के पूर्वानुमानों के बीच लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. केंद्रीय चुनाव आयोग ने ‘टास्क फोर्स’ का गठन किया है और जानकार कहने लगे हैं कि क्लाइमेट प्रभावों को देखते हुए चुनाव के समय में बदलाव किया जा सकता है. 

हिंदी साहित्य हिंदी समाज का राजनीतिक प्रतिपक्ष बन गया है: अशोक वाजपेयी

परंपरा पर जो दबाव हिंदी अंचल पर पड़े हैं, वे केरल या महाराष्ट्र में नहीं थे. वहां परंपरा अधिक सजीव रही है, सुरक्षित रही है और उसे आत्म विस्तार, आत्माविष्कार  का अवसर मिलता रहा. यहां बार-बार आक्रमण होते रहे हैं. इसलिए यहां की संस्कृति अस्थिर है. इसके जो दुष्परिणाम हैं, उनमें से एक है हिंदुत्व.

ओडिशा: बीजू जनता दल चुनाव हारने के बाद वीके पांडियन ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया

हाल ही में हुए ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल की हार के बाद आलोचना का सामना कर रहे पूर्व नौकरशाह और नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए माफ़ी मांगते हुए कहा कि वे राजनीति छोड़ रहे हैं.

क्या हैं विफलता के कर्तव्य?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विफल होने के बाद क्या करें या न करें यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि आपका क्या-कुछ दांव पर लगा है.

मध्य प्रदेश: इंदौर में ‘नोटा’ रहा रनर अप, किसी भी लोकसभा चुनाव के सर्वाधिक वोट

इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के शंकर लालवानी ने कुल 12,26,751 वोटों के साथ चुनाव जीता, वही 2,18,674 नोटा वोट दर्ज किए गए. कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम द्वारा नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल होने के बाद यहां से कोई प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मैदान में नहीं था.

‘यह गांधी कौन था?’ ‘वही, जिसे गोडसे ने मारा था’

गांधी को लिखे पत्र में हरिशंकर परसाई कहते हैं, 'गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था. बताया जाएगा कि उस वीर ने गांधी को मार डाला था. तो आप गोडसे के बहाने याद किए जाएंगे. अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था. एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको.'

नहीं का मुक़ाम

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अगर हम मनुष्य हैं, भारतीय लोकतंत्र के नागरिक हैं और अपने राष्ट्रीय आप्तवाक्य ‘सत्यमेव जयते’ पर विश्वास करते हैं, अगर अब लग रहा है कि संविधान और उसके बुनियादी मूल्यों स्वतंत्रता-समता-न्याय-बंधुता को बचाना है तो हम चुपचाप नहीं रहें.

क्यों कल्लू ने बदला नाम

नागार्जुन की कविता ‘तेरी खोपड़ी के अंदर’ स्वतंत्रता के बाद विकसित हुए भारतीय जीवन पर एक फटकार है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की सोलहवीं क़िस्त.

लोकसभा चुनाव: भाजपा के क़रीब एक चौथाई उम्मीदवार दलबदलू

लोकसभा चुनावों में उतरे भाजपा के 435 उम्मीदवारों में से 106 ऐसे नेता हैं जो पिछले दस वर्षों में पार्टी में शामिल हुए हैं. इनमें से 90 पिछले पांच साल में भाजपा में पहुंचे हैं.

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