कांग्रेस कार्य समिति ने महामारी के हालात सुधरने तक जून में प्रस्तावित पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव को अस्थायी तौर पर स्थगित कर दिया है. वहीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि हालिया चुनावी विफलताओं की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वैक्सीन की कमी के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है. जब इतनी वैक्सीन बन गई थी तो इसे अपने लोगों को देकर बेहतर कोरोना मैनेजमेंट हो सकता था, लेकिन केंद्र सरकार इंटरनेशनल इमेज मैनेजमेंट में लगी रही. इस बीच सोमवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली के पास कोवैक्सीन का एक दिन का स्टॉक है, जबकि कोविशील्ड सिर्फ़ तीन से चार दिन के लिए बचा
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें तमिलनाडु के एक गांव में ग्रामीणों द्वारा एक मंदिर से संबंधित जुलूस को एक ख़ास रास्ते से निकालने को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसका स्थानीय मुस्लिम विरोध कर रहे थे.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बहुत से लोगों ने शिकायत की है कि उन्हें रिश्वत दिए बिना बिस्तर नहीं मिल रहे और वे अधिक कीमत पर दवाएं खरीद रहे हैं. भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने बिस्तर अवरुद्ध करने के घोटाले के बारे में दावा किया था और इसमें मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की संलिप्तता का संदेह जताया था. कांग्रेस ने भाजपा पर मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री ‘काम की बात’ करते और ‘काम की बात’ सुनते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के लिए भाजपा नेताओं ने सोरेन पर आरोप लगाया कि उन्होंने संवैधानिक पद की गरिमा को धूमिल किया है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि पता चला है कि भारत में हमारे आकार, आनुवांशिक विविधता और जटिलता से वायरस को अनुकूल माहौल मिलता है जिससे वह स्वरूप बदलकर अधिक ख़तरनाक रूप में सामने आता है. मुझे डर है कि जिस ‘डबल’ और ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ को हम देख रहे हैं, वह शुरुआत भर हो सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर अपनी ज़िम्मेदारियों और कर्तव्यों से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में कोविड संक्रमण के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए, जिससे महामारी से बेहतर ढंग से निपटने के लिए क़दम उठाना और जवाबदेही तय करना सुनिश्चित हो सके.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में चौरीचौरा के ब्रह्मपुर ब्लाक में हुए बवाल के दौरान पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई थी. पुलिस ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में 500 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. रिटर्निंग ऑफिसर के ख़िलाफ़ चुनाव परिणामों में गड़बड़ी के आरोप में मामला दर्ज कराया गया है.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटों में से 17 सीटें अपने नाम की. इसके अलावा 4 सीटों पर बसपा और 11 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत हासिल की है. भाजपा के अयोध्या ज़िला प्रवक्ता ने बताया कि ज़िले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक होने के बावजूद हमें 40 में से सिर्फ़ आठ ज़िला पंचायत सीटों पर जीत मिली है.
कोविड महामारी के इस भीषण संकट के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबावदेही का यही एक काम कर सकते हैं कि वे अपनी कुर्सी छोड़ दें.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि यह समय जीवन में कुछ और करने का है. उन्होंने कहा कि इस तरह का पक्षपाती निर्वाचन आयोग नहीं देखा, उसने भाजपा की मदद के लिए तमाम क़दम उठाए. भाजपा को धर्म का इस्तेमाल करने दिया, उसके मुताबिक चुनावी कार्यक्रम बनाए गए और नियमों से खिलवाड़ किया गया.
संकट पैदा करने वाली यह मशीन, जिसे हम अपनी सरकार कहते हैं, हमें इस तबाही से निकाल पाने के क़ाबिल नहीं है. ख़ाससकर इसलिए कि इस सरकार में एक आदमी अकेले फ़ैसले करता है, जो ख़तरनाक है- और बहुत समझदार नहीं है. स्थितियां बेशक संभलेंगी, लेकिन हम नहीं जानते कि उसे देखने के लिए हममें से कौन बचा रहेगा.
सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के तीन विभिन्न मामलों में दिसंबर 2017 से जेल में बंद राजद प्रमुख व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है. 73 वर्षीय लालू यादव वर्तमान में दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं.
अगर भाजपा सरकार को कोविड की दूसरी लहर के बारे में पता नहीं था, तब यह लाखों को इकट्ठा कर रैली कर रही थी, या संक्रमण के प्रकोप को जानते हुए भी यह रैली कर रही थी, दोनों ही सूरतें बड़ी सरकारी नाकामी की मिसाल हैं. पता नहीं था तो ये इस लायक नहीं है कि गद्दी पर रहें और अगर मालूम था तो ये इन हत्याओं के लिए सीधे ज़िम्मेदार हैं.
आज हमें जो क्षोभ हो रहा है, उसका कारण सरकार से की गई अपेक्षाएं हैं, जिन पर खरी उतरने में वो पूरी तरह नाकाम रही. ऐसा दस साल पहले भी होता तो हम इतने ही त्रस्त होते, पर मुद्दा ये है कि जिन्हें हमने ख़ुदा समझा, वे परीक्षा की घड़ी आई, तो मिट्टी के माधो साबित हुए. बेशक दूसरे भी नालायक ही थे, पर कोई उन्हें ‘तारणहार’ कहता भी नहीं था!