दुनिया भर में पत्रकारिता की स्थिति पर निगरानी रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ग्वेर्निका 37 चैंबर्स ने भारत में पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में शामिल दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए अमेरिका से इसलिए सिफ़ारिश की है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में प्रेस की स्वतंत्रता में बाधा डालने वाले लोगों पर कार्रवाई करने का वादा किया था.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुए एक कार्यक्रम में विभिन्न प्रेस संगठनों ने पत्रकारिता को दबाव मुक्त रखने का आह्वान किया. यहां मौजूद न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ ने कहा कि मीडिया के पास लोगों तक सच पहुंचाने की ज़िम्मेदारी और आज़ादी, दोनों होने चाहिए.
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जनतंत्र ख़ुद इंसाफ़ है क्योंकि वह अपनी ज़िंदगी के बारे में फ़ैसला करने के मामूली से मामूली आदमी के हक़ को स्वीकार करने और हासिल करने का अब तक ईजाद किया सबसे कारगर रास्ता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की चौदहवीं क़िस्त.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यूएपीए मामले में न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी अमान्य है क्योंकि इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.
विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के आरोप में बीते छह माह से जेल में बंद न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के समर्थन में एकजुटता व्यक्त करने के लिए राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यकर्म में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों ने मोदी सरकार पर असहमति की आवाज़ कुचलने और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया.
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जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि एम्स निदेशक द्वारा नियुक्त बोर्ड जेल रिकॉर्ड और याचिकाकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी विचार करेगा.
बीते 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यूएपीए के तहत दर्ज एक केस के सिलसिले में समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक और इसके कर्मचारियों के यहां छापेमारी की थी. इस दौरान 90 से अधिक पत्रकारों के क़रीब 250 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ज़ब्त किए गए थे. लगभग एक महीने बाद भी इन्हें वापस नहीं करने से पत्रकारों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है.
विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.
वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ‘सिविकस’ ने कहा है कि यह भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण हमला है और समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक की आलोचनात्मक और स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई है. यूएपीए के तहत इस वेबसाइट पर आरोप लगाना, स्वतंत्र मीडिया, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को चुप कराने और परेशान करने का एक बेशर्म प्रयास है.
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न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती फिलहाल दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
बीते 3 अक्टूबर को न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार लिया था. उन पर गैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं, लेकिन क़ानून के जानकारों का कहना है कि उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है, यूएपीए का मामला तो बिल्कुल भी नहीं.