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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में बोलते हुए सांसद और सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कई बार व्यवधान डाला, जिस पर गोगोई ने कहा कि विपक्षी सांसदों को उनके भाषण के दौरान रोका जाता है, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में कोई भी मामला उठा सकते हैं.
वीडियो: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बोलते हुए सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई को भाषण के दौरान कई बार टोका था. इस पर गोगोई ने कहा कि विपक्षी सांसदों को उनके भाषण के दौरान रोका जाता है पर सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में कोई भी मामला उठा सकते हैं.
उद्धव ठाकरे ने 22 जनवरी को नासिक के कालाराम मंदिर में होने वाले राम महाआरती और महापूजा के आयोजन में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह है, जिसमें शामिल होने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से भी राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है.
जेएनयू के प्रोफेसर राजीव कुमार का आरोप है कि फरवरी 2020 में पूर्व वीसी जगदीश कुमार के कार्यकाल में उनके ख़िलाफ़ शुरू की गई जांच उनके द्वारा साल 2006 में आईआईटी-जेईई परीक्षा के संचालन में उजागर की गई गड़बड़ियों का प्रतिशोध थी. जगदीश कुमार 2006-2008 के बीच आईआईटी के एडमिशन बोर्ड के सदस्य थे.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से राज्य सूची में लाना राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को ख़त्म करने का रास्ता है. स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राज्य के एनईईटी छूट विधेयक को जल्द से जल्द मंज़ूरी देने का आग्रह किया है.
एनएपीएम के साथ देशभर के तीन हज़ार से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित अपील में मणिपुर के हालात संभालने में विफल रहने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह के इस्तीफ़े की मांग की है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में राज्यपाल आरएन रवि को पद से हटाए जाने की भी मांग करते हुए उन पर तमिल संस्कृति को 'बदनाम' करने, 'सस्ती राजनीति' में शामिल होने और 'सांप्रदायिक नफ़रत' भड़काने का आरोप लगाया है.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मोदी इस परिसर को अपनी 'जागीर' समझते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने इसे बनवाया है. पार्टी नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले 20 दलों में शामिल है.
कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 'सिविल सेवाओं के चरित्र को बदलने' और सिविल सेवकों पर केंद्र के प्रति 'विशेष निष्ठा दिखाने' के लिए दबाव डालने का प्रयास किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. इसे कार्य को राष्ट्रपति द्वारा न कराए जाने पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने कहा है कि भाजपा पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति नियुक्त करने का श्रेय लेती है, लेकिन उनके कार्यालय को उचित सम्मान नहीं देती है.
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे गए पत्र में देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग को रोकने के लिए कार्रवाई करने का निवेदन किया गया है. पत्र पर कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, सपा और शिवसेना (यूबीटी) सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में वकालत करने वालीं लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी के नाम को जज के तौर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने हरी झंडी दी है. सोशल मीडिया पर उपलब्ध उनसे संबंधित भाषणों के अनुसार, वे भाजपा के महिला मोर्चा की महासचिव हैं. मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों के एक समूह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और कॉलेजियम को लिखे पत्र में कहा है कि गौरी की पदोन्नति ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित’ करती है.
राष्ट्रपति ने बीते मानवाधिकार दिवस पर पूरे जीव जगत और उनके निवास स्थान का सम्मान करने की बात कही थी. कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 87 पूर्व सिविल सेवकों ने उन्हें इस कथन की याद दिलाते हुए लिखा है कि आपके ऐसा कहने के बाद भी सरकार देश के प्राचीनतम प्राकृतिक आवासों में से एक को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
गुजरात विधानसभा ने दंड प्रक्रिया संहिता (गुजरात संशोधन) विधेयक मार्च 2022 में पारित किया था. इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई है. इसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा के उल्लंघन को आईपीसी की धारा 188 (एक लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत एक संज्ञेय अपराध बनाने का प्रावधान करता है.