प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई है. इस सवाल को रैली में कितने लोग आए, कितने नहीं आए इसे लेकर ज़्यादा बहस की ज़रूरत नहीं. सुरक्षा इंतज़ामों में पंजाब सरकार की भूमिका हो सकती है लेकिन यह एसपीजी के अधीन होती है. प्रधानमंत्री कहां जाएंगे और उनके बगल में कौन बैठेगा यह सब एसपीजी तय करती है. इसलिए सबसे पहले कार्रवाई केंद्र सरकार की तरफ से होनी चाहिए.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने 15 महीनों के कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों में रहे हैं. फैकल्टी सदस्य और विद्यार्थी उन पर अनियमितता, मनमाने निर्णयों और शिक्षकों के साथ बदसलूकी के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं.
मामला उडुपी के महिला पीयू कॉलेज का है. छह मुस्लिम छात्राओं का आरोप है कि प्राचार्य उन्हें कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. साथ ही उन्हें उर्दू, अरबी और बेरी भाषा में बात करने नहीं दी जा रही है. प्राचार्य का कहना है कि छात्राएं परिसर में हिजाब पहन सकती हैं लेकिन कक्षा में इसकी इजाज़त नहीं है.
बीजापुर ज़िले के धुर नक्सल प्रभावित बेचापाल में 30 नवंबर से ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध में धरने पर बैठे हैं. उनका कहना है कि उन्हें स्कूल, अस्पताल तो चाहिए लेकिन कैंप और पक्की सड़क नहीं. उनका दावा है कि यदि रोड बनती है तो फोर्स गांवों में घुसेगी, लोगों को परेशान किया जाएगा. झूठे नक्सल प्रकरण में जेल में डाला जाएगा.
गुजरात में क्लेरिकल स्टाफ की भर्तियों के लिए 12 दिसंबर को परीक्षा हुई थी, जिसका प्रश्नपत्र लीक हो गया था. इसके विरोध में 20 दिसंबर को छात्रों सहित आम आदमी पार्टी के लगभग 500 समर्थकों ने गांधीनगर में भाजपा के श्री कमलम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था, जिन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था.
मामला गुजरात के आणंद का है, जहां एक हिंदू और दो मुसलमान व्यक्तियों ने मिलकर एक होटल शुरू किया है, जिसका विरोध हो रहा है. बीते दिनों हुए प्रदर्शन में लोगों ने राम भजन गाते हुए वहां गंगाजल छिड़का, ताकि उस क्षेत्र का ‘शुद्धिकरण’ किया जा सके. प्रदर्शनकारियों के इस समूह में डॉक्टर, वकील और छात्र आदि शामिल थे.
बीते 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन पर्यवेक्षकों के 918 सहायकों को तत्काल हटाने का आदेश दिया, जो काम के लायक नहीं माने जाने के बावजूद समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना के विभिन्न क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं. प्रदर्शन के दौरान सरकार से उनके तीन महीने के लंबित वेतन को जारी करने के अलावा उन्हें बहाल करने की मांग की गई.
कॉनराड संगमा कैबिनेट ने शिलॉन्ग के थेम इव मावलोंग इलाके की पंजाबी लेन से सिखों को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. यह निर्णय उपमुख्यमंत्री प्रेस्टन तिनसॉन्ग की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफ़ारिशों पर आधारित है, जिसका गठन मई 2018 में स्थानीय खासी और सिख समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दशकों पुराने भूमि विवाद का समाधान खोजने के लिए किया गया था.
केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को पांच अक्टूबर 2020 को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया है कि उचित चिकित्सीय देखभाल की कमी की वजह से कप्पन बीमार हैं और वे गंभीर दर्द से जूझ रहे हैं.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर विभिन्न पत्रकार संघों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बाहर प्रदर्शन करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप मनमाने हैं.
हरियाणा के भिवानी ज़िले का मामला. किसानों का कहना है कि ज़िले के विभिन्न गांवों में बिना मुआवज़ा दिए तथा उनकी मर्ज़ी के बग़ैर जबरदस्ती उनके खेतों में टावर लगा दिए गए हैं, जिसके ख़िलाफ़ क़रीब डेढ़ दर्जन गांवों के किसान निमड़ीवाली गांव में पिछले 100 दिन से धरना दे रहे हैं.
केंद्र में भाजपा सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ 19 विपक्षी दलों द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के समर्थन में मणिपुर के विपक्षी दलों ने 11 दिवसीय विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की है. विरोध में शामिल माकपा, भाकपा, कांग्रेस, टीएमसी आदि दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार कॉरपोरेट समर्थक है, जो आम लोगों की कम परवाह करती है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन को बताया कि कृषि क़ानूनों की वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले किसानों और राजनीतिक दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ राज्य में दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा और खेती को बड़ी कंपनियों के क़ब्जे़ में जाने से रोकने के लिए केंद्र को इन क़ानूनों को वापस लेना चाहिए.
गुजरात हाईकोर्ट ने 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दिक़ी के ख़िलाफ़ अहमदाबाद पुलिस की ओर से जारी तड़ीपार करने के आदेश को निरस्त कर दिया. सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के संबंध में सिद्दीक़ी को अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा ज़िलों में एक साल की अवधि के लिए प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया था.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी परिसर का मामला. छात्रा का आरोप है कि वे 16 अगस्त की शाम को अपने एक दोस्त के साथ यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस के चौराहे के पास खाना खा रही थी कि तभी नशे में धुत्त तीन लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ और मारपीट की. छात्रा का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी.