असम के शिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई के ख़िलाफ़ यह मामला 2019 के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुए आंदोलन से जुड़ा है. यह राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उनके खिलाफ दर्ज उन दो मामलों में से एक है, जो हिंसक हो गया था.
वीडियो: हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली असम की भाजपा सरकार पर लगातार सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उनके विभिन्न बयान इसकी तस्दीक करते हैं. उधर, स्थानीय लोग सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद से नाराज़ है और इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं. वहां चुनाव में कौन-से मुद्दे प्रभावी रहेंगे, इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से बात कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
असम के सिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने गौहाटी उच्च न्यायालय के 9 फरवरी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी, जिसमें राज्य की एक विशेष एनआईए अदालत को दो मामलों में से एक में आरोप तय करने के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी.
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एनआईए को असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों पर सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों और माओवादियों से संदिग्ध संबंधों के सिलसिले में आरोप तय करने की अनुमति दे दी. विशेष एनआईए अदालत ने जुलाई 2021 में उन्हें आरोपमुक्त कर दिया था, जिसे एनआईए ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील इबो मिली को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार 'कुछ उचित प्रतिबंधों' के साथ आता है. कोर्ट ने उन्हें दीवार के उस हिस्से को फिर से पेंट करने का भी निर्देश दिया है, जिसे विरूपित किया गया था.
असम में कई संगठनों के नेताओं ने कहा कि सीएए के ख़िलाफ़ आंदोलन ने कोविड-19 महामारी के कारण अपना ‘सामूहिक स्वरूप’ खो दिया, लेकिन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के निर्णय ने उनके आंदोलन को प्रेरणा दी है. पूर्वोत्तर में कई संगठन इस आशंका से सीएए का विरोध करते हैं कि इससे क्षेत्र की जनसांख्यिकी में परिवर्तन होगा.
असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई जेल से छूटने के बाद पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया. गोगोई ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ क़रार देते हुए कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा हैं. उन्होंने एनआईए को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ भी क़रार दिया है.
असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन साथियों को एनआईए अदालत ने चांदमारी मामले के संबंध में बरी कर दिया. इस मामले में उन पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप था. गोगोई ने इस फ़ैसले को भारत की क़ानूनी व्यवस्था की जीत बताया है.
असम के शिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई बीते 25 जून की दोपहर को पैरोल मिलने के बाद देर रात गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से बाहर निकले, जहां उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने गुवाहाटी में पत्नी और बेटे के साथ किराये के मकान में रात बिताई और शनिवार को अपनी मां से मुलाकात की. उन्हे सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वक्त जोरहाट से दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार किया गया था.
असम के शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई को फिलहाल जेल में ही रहना होगा क्योंकि यूएपीए के दूसरे मामले में उनके ख़िलाफ़ सुनवाई अभी चल रही है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने राज्य में हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शनों में कथित संलिप्तता के मामले में 2019 में उन्हें गिरफ़्तार किया था.
नव गठित रायजोर दल के संस्थापक अखिल गोगोई दिसंबर 2019 से राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं. निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े गोगोई को 57,219 वोट मिले, जो 46.06 प्रतिशत मत हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने राज्य में हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शनों में कथित संलिप्तता के मामले में 2019 में उन्हें गिरफ़्तार किया था.
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध का केंद्र रहे असम में 27 मार्च से तीन चरणों में चुनाव हैं और सीएए विरोधी आंदोलन से निकले दलों के साथ अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि वे किसी भी क़ीमत पर राज्य में सीएए लागू नहीं होने देंगे.
असम विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर नागरिकता संशोधन क़ानून पर बोलने से बचने का आरोप लग रहा है, जबकि सीएए विरोधी आंदोलनों से निकले राजनीतिक दलों के साथ विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हैं. उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर सीएए लागू नहीं होने देंगी.