गुवाहाटी हाईकोर्ट ने निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई के ख़िलाफ़ आरोप तय करने की अनुमति दी

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एनआईए को असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों पर सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों और माओवादियों से संदिग्ध संबंधों के सिलसिले में आरोप तय करने की अनुमति दे दी. विशेष एनआईए अदालत ने जुलाई 2021 में उन्हें आरोपमुक्त कर दिया था, जिसे एनआईए ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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Guwahati: Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) adviser Akhil Gogoi addresses a press conference regarding the National Register of Citizenship (NRC), in Guwahati on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000140B)
अखिल गोगोई. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एनआईए को असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों पर सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों और माओवादियों से संदिग्ध संबंधों के सिलसिले में आरोप तय करने की अनुमति दे दी. विशेष एनआईए अदालत ने जुलाई 2021 में उन्हें आरोपमुक्त कर दिया था, जिसे एनआईए ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

Guwahati: Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) adviser Akhil Gogoi addresses a press conference regarding the National Register of Citizenship (NRC), in Guwahati on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000140B)
अखिल गोगोई. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों और माओवादियों से संदिग्ध संबंधों के सिलसिले में आरोप तय करने की अनुमति दे दी.

जांच एजेंसी ने याचिका दायर कर जुलाई 2021 में चारों व्यक्तियों को आरोपमुक्त करने के एनआईए की विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी थी.

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमन श्याम और जस्टिस मलासरी नंदी की खंडपीठ ने मामले को दोबारा खोलने और आरोप तय करने के लिए आगे बढ़ने को कहा.

गोगोई के अधिवक्ता शांतनु बड़ठाकुर ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने मामले को दोबारा खोलने और चारों लोगों के खिलाफ आरोप तय करने की एनआईए की याचिका को स्वीकार कर लिया है. मामले की विशेष एनआईए अदालत में फिर से सुनवाई होगी.’

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया ने बताया, ‘गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दायर याचिका की अनुमति दी.‘’

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीएए के आगमन ने असम राज्य भर में व्यापक सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया था, जिससे राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान छिटपुट हिंसा हुई थी. इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में कई संगठनों ने भी भाग लिया. यह भी सही है कि जनता को ऐसे मामलों में शांतिपूर्ण विरोध का सहारा लेने का संवैधानिक अधिकार है. हालांकि, तथ्य यह है कि अभियोजन पक्ष यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर भरोसा कर रहा है कि उस समय आरोपी व्यक्तियों द्वारा किए गए विरोध और आंदोलन कुछ स्थानों पर हिंसक हो गए थे.’

अदालत ने कहा कि गोगोई ने अपने समर्थकों के सहयोग से न केवल जनता को लामबंद और उन्हें सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल होने के लिए राजी किया, बल्कि कई जगहों पर इस तरह के आंदोलन का नेतृत्व भी किया.  आंदोलन के दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं हुईं.

आदेश में कहा गया है, ‘हमारी राय में इस तरह एनआईए के विशेष न्यायाधीश का दृष्टिकोण कानून की नजर में स्पष्ट रूप से गलत था. इस प्रकार आक्षेपित निर्णय पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.’

अदालत ने कहा, ‘ऊपर बताए गए कारणों से हम मानते हैं कि पूरा मामला विशेष एनआईए न्यायाधीश द्वारा पुनर्विचार के लिए कहता है. हम 1 जुलाई, 2021 के विवादित आदेश को रद्द करते हैं और नए सिरे से सुनवाई और सभी चार अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए मामले को वापस निचली अदालत में भेज रहे हैं.’

अदालत ने आगे कहा कि उपरोक्त को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों पक्षों को 23 फरवरी को विशेष अदालत में पेश होने का निर्देश दिया जाता है.

इस बीच, गोगोई ने भी कहा कि उन्हें और तीन अन्य को 23 फरवरी को एनआईए की विशेष अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा, ‘मैं इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहा हूं. मुझे वहां सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है.’

गौरतलब है कि विशेष एनआईए अदालत ने एक जुलाई, 2021 को गोगोई और उनके तीन सहयोगियों को दिसंबर 2019 में सीएए के विरोध में असम में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था.

इस बीच बृहस्पतिवार शाम को प्रेसवार्ता के दौरान गोगोई ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन में कभी समझौता नहीं किया. यह मेरी ईमानदारी और जनहितैषी रुख की एक और परीक्षा है. जेल में रहने के दौरान मुझे समझौता करने को कहा गया, लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया.’

बता दें कि गोगोई को 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान प्रदेश में सीएए का विरोध पूरे जोरों पर था. गोगोई की गिरफ्तारी कानून व्यवस्था के मद्देनजर एहतियात के तौर पर की गई थी. इसके अगले दिन उनके तीन सहयोगियों को हिरासत में लिया गया था. एक जुलाई 2012 को उन्हें रिहा किया गया था.

गोगोई और उनके साथी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दो मामलों में आरोपी थे. गोगोई और उनके दो अन्य साथियों को पहले मामले में 22 जून 2021 को आरोपों से मुक्त कर दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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