राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6,337 राजस्थान में थे, जबकि 2,845 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे. देश में 2020 की तुलना में पिछले साल बलात्कार के मामलों में 19.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि 2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई. 2021 में बलात्कार के 1,969 मामले दर्ज किए गए, यह संख्या 2020 में 1,618 थी. इसके अलावा 2021 में 2,429 छेड़छाड़ के मामले दर्ज किए गए, जो साल 2020 की तुलना में 17.51 प्रतिशत की वृद्धि है.
कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच होन्नाली से भाजपा विधायक और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार एमपी रेणुकाचार्य ने कहा कि कॉलेज में पढ़ने के दौरान छात्र-छात्राओं को ऐसे परिधान पहनने चाहिए जिससे उनका पूरा शरीर ढंका रहे. बलात्कार के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कुछ परिधान पुरुषों को उत्तेजित करते हैं, जो अच्छी बात नहीं हैं.
आंध्र प्रदेश के ‘दिशा क़ानून’ पर आधारित शक्ति आपराधिक क़ानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक में महिलाओं व बच्चों से बलात्कार, सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामलों में मौत की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान है. ऐसे अपराधों की जांच घटना की तारीख से 30 दिनों में पूरे किए जाने का प्रावधान दिया गया है.
मामला चित्रकूट ज़िले का है. बीते आठ अक्टूबर को 15 वर्षीय दलित किशोरी के साथ कथित तौर सामूहिक बलात्कार किया गया था. मामले में शिकायत न दर्ज किए जाने से नाराज़ होकर मंगलवार को किशोरी ने अपने घर में फ़ांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव और एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स के एक साझा अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि यूपी में यौन हिंसा पीड़ित महिलाओं को शिकायत दर्ज करवाने के दौरान लगातार पुलिस के हाथों अपमान झेलना पड़ा और एफआईआर भी पहले प्रयास में दर्ज नहीं हुई.
मीडिया द्वारा बलात्कार और यौन शोषण पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक करने से जुड़े मामलों के संबंध में भारतीय प्रेस परिषद, एडिटर्स गिल्ड आॅफ इंडिया और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.