आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा में इस बात पर अफसोस जताया गया है कि बैंकों के लिए नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया गया है. नीतिगत दरों में पहले 0.50 फीसदी की कमी की गई पर बैंकों ने क़र्ज़ पर ब्याज दर में औसतन केवल 0.21 फीसदी की ही कमी की है.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि पिछले 11 वित्त वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए हैं.
सूचना के अधिकार के तहत रिज़र्व बैंक से डिफाल्टरों के नाम की जानकारी मांगी गई थी.
क़ब्र संबंधी बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज होने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई के तहत बैंकों की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट न देने पर आरबीआई को अवमानना नोटिस जारी किया था, हालांकि शुक्रवार को अदालत ने अवमानना की कार्यवाही से इनकार करते हुए कहा कि वह उसे आरटीआई क़ानूनों के प्रावधानों का पालन करने का आख़िरी मौक़ा दे रही है.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दावा किया गया है कि गूगल पे भुगतान एवं निपटान क़ानून का उल्लंघन कर भुगतान प्रणाली सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है.
इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019- 20 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया. रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिज़र्व बैंक दूसरे कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है.
साल 2016-17 में इनकम टैक्स रिटर्न दाख़िल नहीं करने वालों की संख्या 2015-16 में 8.56 लाख से 10 गुना बढ़कर 88.04 लाख हो गई. कर अधिकारियों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से नौकरियों में कमी इसका कारण हो सकता है.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आरएसएस का संकीर्ण वैश्विक दृष्टिकोण भारत के लिए गतिरोध पैदा कर सकता है. यह देश हमारे संस्थापकों नेहरू, गांधी के विचारों और हमारे संविधान की बुनियाद पर खड़ा है.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जीडीपी के आंकड़ों को लेकर उपजे संदेह को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है.
नोटबंदी से पहले 4 नवंबर, 2016 तक 17.97 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन में थी, लेकिन अब 19.44 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ये राशि बढ़कर 21.41 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यह दर्शाता है कि वित्तीय प्रणाली में नकदी वापस आ गई है.
आरटीआई से मिली जानकारी में सामने आया है कि आरबीआई निदेशक मंडल ने नोटबंदी प्रभाव को लेकर मोदी सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि नोटबंदी से काले धन की समस्या पर कोई ठोस असर नहीं होगा.
नोटबंदी के बाद पेट्रोल पंप, सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन और बिजली-पानी आदि के बिल भुगतान के लिए पांच सौ और हज़ार रुपये के पुराने नोट देने की छूट दी गई थी. एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया है कि इस तरह जमा हुए नोटों का कोई आंकड़ा नहीं है.
ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ कृषि आय घटी है बल्कि इससे जुड़े काम करने वालों की मज़दूरी भी घटी है. प्रधानमंत्री मोदी कृषि आय और मज़दूरी घटने को जोशीले नारों से ढंकने की कोशिश में हैं.