नाम छिपाकर कौन लोग जीते आए हैं और उनकी घुटन को किसने महसूस किया है?

पहचान की अवधारणा खालिस इंसानी ईजाद है. पहचान के लिए ख़ून की नदियां बह जाती हैं. पहचान का प्रश्न आर्थिक प्रश्नों के कहीं ऊपर है. उस पहचान को अगर कोई भूमिगत कर दे, तो उसकी मजबूरी समझी जा सकती है और इससे उसके समाज की स्थिति का अंदाज़ा भी मिलता है.

अविवाहित भारतीय लड़कियां सिर्फ मौज-मस्ती के लिए शारीरिक संबंध नहीं बनातीं: हाईकोर्ट

बलात्कार के एक मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है, जो सभ्यता के लिहाज़ से अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है, जहां एक अविवाहित लड़की बिना शादी के वादे के किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना सके.

जबरन धर्म परिवर्तन मामले में ज़मानत देने से कोर्ट का इनकार, कहा- धार्मिक कट्टरता के लिए जगह नहीं

मामला उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले का है. एक व्यक्ति पर आरोप है कि शादीशुदा होने के बावजूद उन्होंने हिंदू युवती का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 15 धर्म परिवर्तन की अनुमति देता है, लेकिन यह बलपूर्वक नहीं होना चाहिए. हमारे देश में धार्मिक कट्टरता, लालच और भय के लिए कोई जगह नहीं है.

प्रेमचंद के विचारों की प्रासंगिकता समझने के लिए उनका पुनर्पाठ ज़रूरी है

विशेष: हर रचनाकार और उसकी रचना अपना पुनर्पाठ मांगती है. इस कड़ी में 'ईदगाह' को दोबारा पढ़ते हुए प्रेमचंद के सामाजिक यथार्थ के चित्रण की सूक्ष्मता, अर्थ के व्यापक और विविध स्तरों को समझ पाने की एक नई दृष्टि मिलती है.

कश्मीर में ‘लव जिहाद’ का हौवा महिलाओं को चुनने की आज़ादी से वंचित करने का प्रयास है

आज़ादी के सात दशक बाद भी जो औरतें धर्म या जाति की सीमाओं के बाहर जीवनसाथी चुनने का साहस दिखाती हैं, उन्हें परिवार और समाज के साथ पुलिस और नेताओं की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. वक़्त आ गया है कि महिलाओं द्वारा साथी के चयन को मूल अधिकारों की श्रेणी में शामिल किया जाए और इसकी रक्षा के लिए परिवार, समुदाय, राजनीतिक दलों और राज्य की कट्टरता के विरुद्ध खड़ा हुआ जाए.

अमेरिकी सांसदों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता जताई, भारत ने ख़ारिज किया

अमेरिका में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन सांसदों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए आरोप लगाया कि सरकार सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही और बोलने की आज़ादी के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है. अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ धार्मिक आधार पर भेदभाव को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि बढ़ता राष्ट्रवाद लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए ख़तरा है. हालांकि भारत सरकार और अनेक भारतीय संगठनों ने इन

क्या भारत में धार्मिक सहिष्णुता और घृणा साथ-साथ हैं?

वीडियो: हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर ने 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत के बीच 17 भाषाओं में लगभग 30,000 वयस्कों के साक्षात्कार पर आधारित एक अध्ययन जारी किया है. ‘भारत में धर्मः सहिष्णुता और अलगाव’ नाम के अध्ययन ने भारतीय समाज में धर्म की गतिशीलता में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान की है. इस विषय पर प्रो. अपूर्वानंद ने शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता के साथ बातचीत की.

भागवत कहते हैं मुस्लिमों-हिंदुओं का डीएनए एक, लेकिन हिंदुत्व से नफ़रत करने वालों का क्या?

वीडियो: एक तरफ़ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का देश की एकता को लेकर बयान आता है और दूसरी तरफ़ अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ कुछ भाजपा नेता नफ़रत की आग फैला रहे हैं. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

क्या विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के जीवन में अपनी निर्धारित भूमिका निभाने में विफल हो रहे हैं

विश्वविद्यालयों की स्थापना के पीछे सैद्धांतिक रूप से यह विचार कहीं न कहीं ज़रूर था कि ये ऐसी नई पीढ़ी के विकास में सक्षम होंगे, जो सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों से मुक्त होगी. पर व्यावहारिक रूप से सामने यह आया कि विश्वविद्यालय इन बुराइयों को समाज से हटा तो नहीं सके, साथ ही ख़ुद इसका शिकार बन गए.

अगर हिंदू कहता है कि किसी मुस्लिम को यहां नहीं रहना चाहिए, वह हिंदू नहींः मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की अल्पसंख्यक इकाई मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है. जो लोग लिंचिंग में शामिल हैं, वे हिंदुत्व के ख़िलाफ़ हैं. कई विपक्षी नेताओं ने उनके बयान पर 'कथनी-करनी का अंतर' कहते हुए निशाना साधा है.

क्या भारत में धर्म को लेकर कथनी और करनी में अंतर बना हुआ है

अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर ने भारत में धार्मिकता को लेकर सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिपोर्ट दिखाती है कि हम भारतीय दूर से सलाम का उसूल मानते हैं. आप हमसे ज़्यादा दोस्ती की उम्मीद न करें, हम आपको तंग नहीं करेंगे जब तक आप अपने दायरे में बने रहें.

कश्मीर पहुंचा लव जिहाद का झूठ, क्या चाहती हैं सिख दुल्हनें?

वीडियो: कश्मीर में दो सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन और निकाह का मामला तूल पकड़ चुका है. सिख समुदाय के लोग कश्मीर से लेकर नई दिल्ली तक प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका आरोप है कि कश्मीर में आए दिन अपहरण, दबाव बनाकर तो कभी बहला-फुसलाकर लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने जम्मू कश्मीर के पत्रकारों गौहर गिलानी, शाकिर मीर और समाजसेवी कंवलजीत कौर से चर्चा की.

मुसलमानों का अनदेखा किया गया सच है, ‘बॉर्न अ मुस्लिम’

वीडियो: कुछ ही समय पहले पत्रकार ग़ज़ाला वहाब की एक किताब आई है, ‘बॉर्न अ मुस्लिम- सम ट्रूथ्स अबाउट इस्लाम इन इंडिया’. इस सिलसिले में ग़ज़ाला से विशेष बातचीत.

हमारा संविधान: अनुच्छेद-17 और 18, अस्पृश्यता और उपाधियों का उन्मूलन

वीडियो: संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत जातिवाद के आधार पर होने वाली छुआछूत या अस्पृश्यता के भेदभाव को गैर-संविधानिक माना गया है. वहीं, अनुच्छेद 18 के तहत सभी प्रकार की उपाधि देने की व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया. इनके बारे में विस्तार से बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

हमारा संविधान: अनुच्छेद-16 और सरकारी नौकरियों में समान अवसर

वीडियो: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में समानता की बात कहता है. इसके मुताबिक धर्म, जाति, लिंग आदि के नाम पर सरकारी नौकरियों में नियुक्ति और पदोन्नति में भेदभाव नहीं किया जा सकता. यदि सरकार को ये लगता है कि कुछ जाति या समुदाय के लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, तो उनके लिए आरक्षण किया जा सकता है.

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