अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक बयान में कहा है कि विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर ख़तरा हैं. आयोग ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को विशेष चिंता वाले देश में डालने का अनुरोध किया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 370 को रद्द करने जितना आसान नहीं है. इसमें सभी धर्म शामिल हैं. एक साथ इन सभी लोगों को नाराज़ करना, किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा.
नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है. मणिपुर में बीते 3 मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के प्रति अपना विरोध दोहराया है. पत्र में कहा गया है कि बहुसंख्यकवादी नैतिकता को एक संहिता के नाम पर व्यक्तिगत क़ानून, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए.
वीडियो: अमेरिकी विदेश विभाग ने बीते दिनों भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होते ‘निरंतर लक्षित हमलों’ पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि अमेरिकी नरसंहार संग्रहालय भारत को ‘सामूहिक नरसंहार की संभावना रखने वाले’ देश के रूप में देखता है. इस मुद्दे पर पत्रकार, लेखक और एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख आकार पटेल से बातचीत.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने लगातार चौथे वर्ष भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने का सिफ़ारिश की है. भारत ने रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए आयोग से ऐसे प्रयासों से दूर रहने और भारत की अनेकता, लोकतांत्रिक लोकाचार की बेहतर समझ विकसित करने को कहा है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ती रही. राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया गया.
छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश के लिए चिंतित हैं. अगर यह आपके राज्य में हो रहा है, तो यह बुरा है. अगर नहीं हो रहा, तो अच्छा है. इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं.
बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.'
इस मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ‘डरा-धमकाकर, उपहार या पैसों का का लालच देकर’ किए जाने वाले कपटपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर क़दम उठाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में गुजरात सरकार द्वारा पेश हलफ़नामे में यह कहा गया है. इससे पहले बीते माह केंद्र सरकार ने भी इसी मामले में एक हलफ़नामा दायर करते हुए शीर्ष अदालत से यही बात कही थी. केंद्र ने कहा था कि इस तरह की प्रथाओं पर क़ाबू पाने वाले क़ानून समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं.
अमेरिका ने चीन, पाकिस्तान और म्यांमार समेत 12 देशों को वहां की धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति को लेकर ‘विशेष चिंता वाले देश’ घोषित किया है, जबकि यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने भारत को भी इस सूची डालने की सिफारिश की थी.
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम का कहना है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और संबंधित मानवाधिकारों पर लगातार ख़तरा बना हुआ है. इस साल अप्रैल में भी कमीशन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की थी कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को 'विशेष चिंता वाले' देशों की सूची में डाले.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की विविधता के घर भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं. दो महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में सीधे तौर पर चिंता व्यक्त की है. इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से कहा गया है कि पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर तैयार
स्कूल की वर्दी या यूनिफॉर्म के पीछे का तर्क छात्रों में बराबरी की भावना स्थापित करना है. वह वर्दी विविधता को पूरी तरह समाप्त कर एकरूपता थोपने के लिए नहीं है. उस विविधता को पगड़ी, हिजाब, टीके, बिंदी व्यक्त करते हैं. क्या किसी की पगड़ी से किसी अन्य में असमानता की भावना या हीनभावना पैदा होती है? अगर नहीं तो किसी के हिजाब से क्यों होनी चाहिए?