भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने पिछले महीने कहा था कि इसकी अध्यक्ष माधबी बुच ने 'हितों के टकराव' से जुड़े मामलों से ख़ुद को अलग कर लिया था, लेकिन अब एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि जिन मामलों से उन्होंने ख़ुद को अलग किया था, उनकी जानकारी उपलब्ध नहीं है.
एक आरटीआई आवेदन पर गृह मंत्रालय ने यह जवाब दिया है. आवेदन में सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले लोगों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी.
एक आरटीआई आवेदन में निर्वाचन आयोग से चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर सवालों को लेकर उठाए कदमों पर जवाब मांगा गया था. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने इसका उत्तर न देने को क़ानून का 'घोर उल्लंघन' क़रार देते हुए चुनाव आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है.
सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि रेलवे स्टेशनों पर लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो वाले प्रत्येक स्थायी सेल्फी बूथ की लागत 6.25 लाख रुपये है, जबकि प्रत्येक अस्थायी सेल्फी बूथ की लागत 1.25 लाख रुपये है. मध्य रेलवे द्वारा यह सूचना दी गई थी, जिसके बाद बिना नोटिस दिए इसके एक अधिकारी का तबादला कर दिया गया.
पटना में बीते 12 जुलाई को विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित एक जनसुनवाई में राज्य के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए जान गंवाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं के परिजनों ने शिरकत की. इस दौरान एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि वह इन मामलों में उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए एक न्यायिक आयोग बनाए और क़ानून प्रवर्तक एजेंसियों को समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने का निर्देश दे.
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड की छपाई की कुल लागत की जानकारी हासिल करने की ख़ातिर भारतीय सुरक्षा प्रेस को आरटीआई आवेदन दिया था. हालांकि भारतीय सुरक्षा प्रेस ने तर्क दिया था कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से देश के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में एसबीआई ने बताया कि चुनावी बॉन्ड शुरू होने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी विधानसभा चुनाव से पहले इतनी बड़ी राशि के बॉन्ड बेचे गए. इस अवधि में बैंक की मुंबई शाखा ने सर्वाधिक 489.6 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे और नई दिल्ली शाखा में सबसे अधिक बॉन्ड भुनाए गए.
स्टेट बैंक से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, पिछले चार वर्षों में लगभग 7,995 करोड़ रुपये के 15,420 चुनावी बॉन्ड बेचे गए. इनमें से 7,974 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 15,274 चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए. 20 करोड़ रुपये से कुछ अधिक मूल्य के नहीं भुनाए गए बॉन्ड प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष भेजे गए.