सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में निहित मौलिक अधिकारों को लेकर मूल सोच यह है कि इन्हें केवल राज्य के ख़िलाफ़ लागू किया जा सकता है, लेकिन समय के साथ यह बदल गया है.
साक्षात्कार: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा का कहना है कि अगर पुलिस बिना सहमति के डेटा इकट्ठा करती है, तो इसे अनिवार्य तौर पर इसकी ज़रूरत का वाजिब कारण बताने में समर्थ होना चाहिए. सिर्फ यह कह देना काफी नहीं है कि ऐसा करने का मक़सद आपराधिक जांच करना है.
सुप्रीम कोर्ट उद्योगपति रतन टाटा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें टेप के लीक होने में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी.
माओवादी संबंध मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने 21 मई से भूख हड़ताल शुरू की थी. उनकी मांग थी कि उनकी जेल कोठरी के सामने लगा सीसीटीवी कैमरा हटाया जाए. इसे लेकर उनके परिजनों ने निजता के हनन का हवाला देते हुए महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र भी लिखा है.
माओवादी संबंधों के लिए नागपुर केंद्रीय जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के अंडा सेल के सामने शौचालय और स्नान क्षेत्र की फुटेज रिकॉर्ड करने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे के विरोध में उनकी पत्नी और भाई ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उनकी निजता के हनन का हवाला देते हुए कैमरे हटाने की मांग की गई है.
गुजरात मद्य निषेध क़ानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा है कि प्रावधान मनमाने, अतार्किक, अनुचित और भेदभावपूर्ण हैं और छह दशकों से अधिक समय से क़ानून के बावजूद तस्करों, संगठित आपराधिक गिरोह के नेटवर्क और भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ के कारण शराब की आपूर्ति हो रही है. वहीं सरकार के वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ही इस पर फ़ैसला करने के लिए सही मंच है, न कि गुजरात हाईकोर्ट.
अगर आधार बनाने वाली एजेंसी यूआईडीएआई इस पर सहमति जता देती है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और आधार अधिनियम, 2016 में संशोधन के बिना ही वोटर कार्ड के साथ आधार को लिंक करने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
इस साल मार्च में उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार ज़िले को बूचड़खानों से मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया था और बूचड़खानों के लिए जारी अनापत्ति पत्रों को भी रद्द कर दिया था. अदालत ने कहा कि सभ्यता का आकलन केवल इस बात से किया जा सकता है कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और हरिद्वार में इस पाबंदी से सवाल उठता है कि राज्य किस हद तक नागरिकों के विकल्पों को तय कर सकता है.
इस पद के लिए तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इन सबको दरकिनार कर चयन समिति ने जस्टिस अरुण मिश्रा को तरजीह दी. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी, जिसके कारण उनकी आलोचना हुई थी कि वह किस हद तक सरकार के क़रीबी हैं.
हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण प्रमुख ने कोरोना संक्रमण को रोकने की दलील देते हुए कहा कि टीकाकरण के लिए चेहरा पहचान तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि अधिकार संगठनों ने इसे लोगों की निजता के साथ खिलवाड़ बताया है.
डेटा प्राइवेसी के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकार प्राप्त समूह द्वारा जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार प्राइवेसी पॉलिसी में ये बताया जाना चाहिए कि किस उद्देश्य के लिए यूज़र्स के डेटा को इकट्ठा किया जा रहा है, लेकिन आरोग्य सेतु ऐप की पॉलिसी में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है.
सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.
शहला राशिद, उनकी मां ज़ुबेदा अख़्तर और बहन अस्मा राशिद ने यह कहते हुए मुक़दमा दायर किया था कि उनके पिता अब्दुल राशिद शोरा झूठे और तुच्छ आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को कम करने का काम कर रहे हैं, जिसमें उन्हें राष्ट्रविरोधी कहना तक शामिल है. प्रतिवादियों में अब्दुल, कुछ मीडिया आउटलेट्स, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और गूगल शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर का मामला. मुस्लिम युवक के ख़िलाफ़ पहले से शादीशुदा महिला से शादी करने को लेकर धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहा कि महिला वयस्क हैं और वह अपना भला-बुरा अच्छी तरह समझती हैं.
एक आरटीआई कार्यकर्ता सीआईसी के समक्ष एक याचिका दायर की थी, क्योंकि उन्हें इसके बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संतोषजनक जवाब नहीं मिला था. उन्होंने आरोग्य सेतु ऐप के निर्माण से जुड़ी पूरी फाइल और इस प्रक्रिया में शामिल कंपनियों, लोगों और सरकारी विभागों का ब्योरा मांगा था.