गुजरात के साबरकांठा ज़िले का मामला. महिला के पिता की मृत्यु के बाद परिवार ने महिला को उनकी मर्ज़ी से विवाह करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन इसके बजाय महिला ने इस साल फरवरी में अपने प्रेमी से शादी की. फैसले से नाराज़ महिला के चाचा ने उसके पति और ससुर पर हमला किया और महिला को अगवा कर लिया था.
गुजरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर क़स्बे के निकट संचारी गांव में 30 जुलाई को यह घटना हुई. आरोप है कि गांव में चारों आरोपियों ने दो अन्य के साथ मिलकर 30 वर्षीय विधवा महिला और एक शादीशुदा पुरुष की जमकर पिटाई की. महिला के कपड़े फाड़कर उनका सिर मुंड़वा दिया. इसके बाद आरोपियों ने दोनों को भविष्य में साथ दिखाई देने पर उनकी हत्या करने की धमकी दी.
यह घटना रविवार को बनासकांठा जिले के शरीफ्दा गांव की है. पुलिस सुरक्षा के बीच दलित युवक को घोड़ी चढ़ने से रोकने के लिए कथित तौर पर ऊंची जाति के कुछ लोगों ने बारात पर पथराव किया, जिसमें महिलाओं सहित तीन लोग घायल हो गए.
यह मामला गुजरात के साबरकांठा के प्रांतिज तहसील का है. आरोप है कि ऊंची जाति के लोगों ने दलितों की बारात को रोकने के लिए सड़कों पर यज्ञ और हवन किए. हिंसा भड़कने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. यह राज्य में दलितों पर हमले की चौथी घटना है.
आरोपियों ने सातों लोगों को जल्द से जल्द गुजरात छोड़ने की धमकी दी है. पीड़ितों में एक शख्स सिविल इंजीनियर है और बाकी छह लोग प्लंबर हैं.
28 सितंबर को गुजरात के साबरकांठा ज़िले में 14 महीने की मासूम से बलात्कार का आरोप बिहार मूल के एक व्यक्ति पर लगने के बाद राज्य के आठ ज़िलों में उत्तर भारतीय मज़दूरों के ख़िलाफ़ हिंसा शुरू हो गई जिसके बाद वहां से पलायन जारी है.
जब प्रधानमंत्री अपने 2019 के चुनावी मंसूबों को नए-नए पंख लगाने के फेर में हैं, उनके गृहराज्य गुजरात के उपद्रवी तत्व एक बच्ची से बलात्कार का बदला लेने के बहाने उनके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे की हवा निकाल देने में लगे हुए है.
जन गण मन की बात की 314वीं कड़ी में विनोद दुआ सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद हो रही राजनीति और गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हो रहे हमलों पर चर्चा कर रहे हैं.
बीते 28 सितम्बर को एक बच्ची के साथ बलात्कार करने के आरोप में बिहार के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद से ही गैर-गुजरातियों को निशाना बनाया जा रहा और सोशल मीडिया पर घृणा संदेश फैलाए गए.
गुजरात में मासूम से बलात्कार की घटना के बाद वहां के लोग यूपी-बिहार के लोगों के ख़िलाफ़ गोलबंद हो गए हैं. इसमें उनकी गलती नहीं. हाल के दिनों में बलात्कार को राजनीतिक रूप देने के लिए धार्मिक पृष्ठभूमि को उभारा गया है ताकि उसके बहाने एक समुदाय विशेष पर टूट पड़ें.
साबरकांठा जिले में 14 माह की बच्ची से बलात्कार के आरोप में बिहार के एक मजदूर की गिरफ़्तारी के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में ग़ैर गुजरातियों पर हमले हुए हैं. हमलों का आरोप क्षत्रिय ठाकोर सेना पर है, जिसका कहना है कि अन्य राज्यों के प्रवासी कामगारों को गुजरात में नौकरी नहीं दी जानी चाहिए.
साबरकांठा ज़िले के अल्पेश पंड्या का आरोप है कि मूंछ रखने के चलते ठाकोर समुदाय के लोगों ने उसे पीटा, साथ ही जबरन मूंछ भी मुंड़वा दी.
मृतक के परिवार ने पुलिस पर हिरासत में यातना देने का आरोप लगाया है. गुजरात राज्य में नए गो-संरक्षण क़ानून के तहत यह पहला मामला दर्ज़ हुआ था.