यह मामला गुजरात के साबरकांठा के प्रांतिज तहसील का है. आरोप है कि ऊंची जाति के लोगों ने दलितों की बारात को रोकने के लिए सड़कों पर यज्ञ और हवन किए. हिंसा भड़कने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. यह राज्य में दलितों पर हमले की चौथी घटना है.
अहमदाबादः गुजरात के अरावली जिले में रविवार को कथित तौर पर ऊंची जाति के लोगों द्वारा दलित दूल्हे की बारात पर पथराव के बाद हिंसा भड़क उठी और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
एक सप्ताह से भी कम समय में गुजरात में यह इस तरह की चौथी घटना है, जिसमें दलितों की बारात पर कथित तौर पर ऊंची जाति के लोगों ने हमला किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को साबरकांठा जिले के प्रांतिज तहसील के सितवाड़ा गांव में एक दलित युवक की बारात पुलिस की निगरानी में निकाली गई, ऊंची जाति के लोगों के हमले के डर की वजह से भारी पुलिसबल की तैनाती की गई थी.
दो दिन पहले इसी क्षेत्र में एक दलित हवलदार की बारात पुलिस सुरक्षा में निकाली गई.
अरावली जिले के मोडासा तालुका के खाम्बीसार गांव में रविवार को हिंसा उस वक्त भड़की, जब कथित तौर पर ऊंची जाति के लोगों ने बारात पर पथराव किया. ये लोग दलितों की बारात निकाले जाने के ख़िलाफ़ थे और कथित तौर पर गांव के मेन रोड पर यज्ञ और हवन भी किया था.
सूत्रों का कहना है कि दलित समुदाय के लोगों ने गांव में दलित जयेश राठौड़ की बारात निकालने के लिए पुलिस से पहले ही मंजूरी ले ली थी और साथ में पुलिस सुरक्षा भी मांगी थी.
दलित दूल्हे के दोस्त के मुताबिक, ऊंची जाति के लोगों ने बारात को रोकने के लिए गांव के मेन रोड पर कई जगह यज्ञ भी किए.
मौके पर मौजूद दूल्हे के दोस्त हर्ष वघेला ने कहा, ‘वे (ऊंची जाति के लोग) नहीं चाहते कि हम बारात निकाले इसलिए उन्होंने मेन रोड पर कई स्थानों पर यज्ञ किए, यह सुनिश्चित करने के लिए बारात वहां से नहीं निकले. जब हमारी बारात पटेल फलिया से गुजरी तो हमें रोक लिया गया. पुलिस ऊंची जाति के लोगों को शांत करने की कोशिश करती रही. जल्द ही हम पर पथराव किया गया और हममें से अधिकतर लोग छिपने की कोशिश करने लगे और पास के खेतों में छिप गए.’
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (ऊंची जाति के लोगों) सड़क पर यज्ञ करने के लिए पुलिस से मंजूरी भी नहीं ली थी. पथराव में कुछ पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए.’
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) नीरज गोत्रू के मुताबिक, पुलिस ने पथराव के बाद लाठीचार्ज किया.
उन्होंने कहा, ‘यह घटना उस समय हुई, जब दलितों की बारात गांव से गुजर रही थी. मेन रोड पर कुछ जगह हवन हो रहे थे, जिसके बाद पथराव की खबर आई, उसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
अरावली पुलिस महाधीक्षक मयूर पाटिल स्थिति को काबू में करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे.
गोत्रू ने कहा, ‘डीआईजी गांव के लिए रवाना हो चुके हैं, वह अभी रास्ते में हैं. पुलिस महानिदेशक ने मोडासा गांव के लिए रिजर्व पुलिस की एक कंपनी को भेजने के आदेश दिए हैं.’
दलित ग्रामीणों का आरोप है कि ऊंची जाति के लोगों ने गांव की मुख्य सड़क पर यज्ञ और हवन करने के लए पुलिस से मंजूरी नहीं ली थी. गोत्रू ने कहा कि वे इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
इससे पहले दिन में साबरकांठा जिले के प्रांतिज तहसील के सितवाड़ा गांव में एक दलित युवक की बारात पुलिस सुरक्षा के बीच निकली, उन्हें डर था कि ऊंची जाति के लोग हमला कर सकते हैं.
दूल्हे के पिता रमेश राठौड़ ने बताया, ‘ऊंची जाति का ठाकोर समुदाय गांव में दलितों की बारात निकालने जाने के ख़िलाफ़ है. बारात पर हमले के अंदेशे के चलते हमने पुलिस से सुरक्षा मांगी. आज, जब गांव में बारात निकाली गई, कुछ लोगों ने हमें धमकाने की कोशिश की इसलिए हम घर लौट आए और अधिक पुलिस तैनाती के बाद ही बारात निकाली.’
परिवार ने अभी तक शिकायत दर्ज कराने पर विचार नहीं किया है. उनका कहना है कि वे शादी में व्यस्त हैं.
साबरकांठा पुलिस अधीक्षक चैतन्या मांडलिक ने भी पुष्टि की कि कुछ युवाओं ने दलितों की बारात निकाले जाने के दौरान कुछ टिप्पणी की. तत्काल स्थानीय नेताओं (ठाकोर समुदाय) ने हस्तक्षेप किया और उन्होंने उन युवाओं से वहां से जाने को कहा.
उन्होंने कहा कि इस बीच डीजे भाग खड़ा हुआ. इस पर दलितों ने कहा कि वह डीजे के लौटने के बाद ही बारात आगे बढ़ाएंगे. डीजे को वापस बुलाया गया और बारात एक बार फिर शुरू की गई. यह सिर्फ कुछ युवाओं का मामला है, इसमें कुछ बड़ा नहीं है. अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है.
एसपी ने कहा, ‘अगर गांव के दलित केस दर्ज कराना चाहते हैं तो दर्ज की जाएगी.’
इससे पहले शुक्रवार को एक और दलित युवक की बारात बोरिया गांव में पुलिस सुरक्षा के बीच निकाली गई थी. वह युवा खुद एक हवलदार था.
साबरकांठा एसपी ने कहा कि बारिया में पुलिस सुरक्षा के बीच बारात निकाली गई थी क्योंकि परिवार को ऊंची जाति के लोगों से कुछ समस्याएं थीं.
इस सप्ताह की शुरुआत में मेहसामा जिले के लोर गांव में एक दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने की वजह से ऊंची जाति के लोगों ने पूरे गांव में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था.
दूल्हे के पिता की शिकायत पर पुलिस ने पांच लोगों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था, जो ऊंची जाति के थे, इनमें गांव का सरपंच और उपसरपंच भी थे.
बता दें कि इससे पहले पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के निज़ामपुर गांव में पीएसी और पुलिस की सुरक्षा में एक दलित की शादी कराई गई थी. वह शादी लगभग 350 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में शांतिप्रिय तरीके से संपन्न हुई थी. उस गांव में 80 साल बाद किसी दलित शख्स की घोड़े की बग्गी पर बिठा कर शादी निकाली गई थी.