2002 के गुजरात दंगों से संबंधित विवादित डॉक्यूमेंट्री के मद्देनज़र भारत में समाचार वेबसाइट बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी याचिका में कहा गया था कि डॉक्यूमेंट्री भारत और इसके प्रधानमंत्री के वैश्विक उदय के ख़िलाफ़ गहरी साज़िश का परिणाम है.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर भारत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को 500 से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने देश की संप्रभुता और अखंडता को कम करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाना भारतीय नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन करता है.
सरकार द्वारा अयोध्या के राम मंदिर के लिए एक जटिल संरचना बनाने को लेकर वैज्ञानिकों को जोड़ने के बारे में नाराज़ होने की वजहें हैं, लेकिन काम करने की स्वतंत्रता और फंडिंग से जुड़े सवाल इससे बड़े हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने मोदी सरकार के एजेंडा के चलते कोविड-19 के ख़तरे को कम दर्शाने के लिए वैज्ञानिकों पर दबाव डाला. अख़बार ने ऐसे कई सबूत दिए हैं, जो दिखाते हैं कि परिषद ने विज्ञान और साक्ष्यों की तुलना में सरकार के राजनीतिक उद्देश्यों को प्राथमिकता दी.
देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि लू अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं में से एक है. अध्ययन के मुताबिक, 1971-2019 में ऐसी ने 141,308 लोगों की जान ली है. इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है. लू से अधिकतर मौत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुईं.
कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉक्टर राकेश मिश्रा का कहना है कि कोविड-19 से लड़ाई में स्वास्थ्य ढांचा बहुत दबाव में है. नए अस्पताल और सुविधाएं लाए जा सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षित मानव संसाधन नहीं मिलेगा. इसलिए सबसे कारगर तरीका यही है कि लोगों को संक्रमित होने से बचाया जाए.
भारत सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों के एक मंच के चार वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस के नए प्रकारों के विषय में चेतावनी के बाद भी केंद्र द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख प्रतिबंध लगाने के बारे में कुछ नहीं किया गया.
इससे पहले 100 से अधिक फिल्मकारों और 200 से अधिक लेखकों ने देश में नफरत की राजनीति के खिलाफ मतदान करने की अपील की थी.
वैज्ञानिकों का कहना है, आधुनिक समय के लोग अपने पूर्वजों से कम हिंसक नहीं हैं. इसके उलट चिम्पैंजी मानवों से कम हिंसक हैं.
जीडीपी का तीन फीसदी वैज्ञानिक शोध और दस फीसदी शिक्षा पर ख़र्च करने की मांग को लेकर बुधवार को देश भर में हज़ारों की संख्या में वैज्ञानिक और शिक्षाविद सड़क पर उतरे.