मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय के सात विधायकों ने मंगलवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ उनके राज्य में जान-माल की हानि को रोकने के लिए तत्काल क़दम न उठाने को लेकर मौन विरोध किया और अपने समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन की मांग दोहराई.
मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय ने राज्य के चार ज़िलों में रैलियां निकालते हुए जातीय हिंसा को समाप्त करने और आदिवासियों के लिए ‘केंद्र शासित प्रदेश’ बनाने की मांग उठाई. वहीं, मेईतेई बहुल इंफाल घाटी में महिलाओं ने रैली कर कुकी-ज़ो समुदाय की अलग प्रशासन की मांग का कड़ा विरोध किया.
अधिकारियों ने बताया कि बिष्णुपुर ज़िले में शुक्रवार को हुईं अलग अलग घटनाओं में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में मणिपुर पुलिस कमांडो की मौत हो गई, चुराचांदपुर ज़िले की सीमा से लगे तीन गांवों में किशोर समेत तीन लोगों की जान चली गई है.
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने मणिपुर में शांति का आह्वान करते हुए कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीज़ें बेहतर हो जाएंगी, लेकिन स्थितियां और ख़राब होती दिख रही हैं. यह कब रुकेगा? मैं अपने मणिपुरी ज़ो जातीय भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. वे पीड़ित मेरे रिश्तेदार हैं, मेरा अपना ख़ून हैं.
सुप्रीम कोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, एक मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली और दूसरी मणिपुर विधानसभा की हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष द्वारा दायर की गई है. अदालत ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में पुनर्वास शिविरों, हथियारों की बरामदगी, क़ानून व्यवस्था समेत अन्य उठाए जा रहे क़दमों को शामिल किया जाना चाहिए.
मणिपुर में बीते 3 मई से जारी जातीय हिंसा के बाद सत्तारूढ़ भाजपा सहित प्रदर्शनकारी कुकी विधायकों और आदिवासी संगठन अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि जातीय हिंसा के पीछे अंतरराष्ट्रीय हाथ की पुष्टि या खंडन करना संभव नहीं है, लेकिन यह पूर्व नियोजित लगता है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के आधिकारिक हैंडल से बीते 30 जून को कुछ ट्वीट किए गए थे, जिसमें वह कुछ ट्विटर उपयोगकर्ताओं के साथ उलझते हुए नज़र आते हैं, जिन्होंने उन्हें ‘कुकी’ और ‘म्यांमार से संबंधित’ कहने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की थी. बाद में ये ट्वीट हटा दिए गए थे.
तमाम सर्वे बताते हैं कि नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ‘अत्यंत’ लोकप्रिय मोदी सांप्रदायिक दंगों, आंदोलनों या जातीय हिंसा के समय कोई अपील जारी क्यों नहीं करते? महात्मा गांधी के गुजरात से आने वाले मोदी मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच जाकर शांति की अपील क्यों नहीं करते? दरअसल उनकी लोकप्रियता महज़ चुनावी है.
वीडियो: मणिपुर में 3 मई को बहुसंख्यक मेईतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा जारी है. अब तक करीब 200 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं जो 350 राहत शिविरों में रह रहे हैं.
वीडियो: मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच बीते 29 जून को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे हिंसा प्रभावित लोगों और नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों आदि से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि हिंसा से कोई हल नहीं निकलेगा.
ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
मणिपुर के प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने कहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद हितधारकों तक पहुंचने का विचार बहुत देर से व्यक्त किया, जब इतने सारे निर्दोष जीवन और संपत्तियों का नुकसान हो गया और कुकी-ज़ो आदिवासियों को कठिन दौर से गुज़रना पड़ा.
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मणिपुर में बीते माह 3 मई से भड़की जातीय हिंसा को लेकर मणिपुर ट्राइबल्स फोरम ने कहा है कि एन. बीरेन सिंह सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति देखी जा रही है. संगठन ने मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा की कथित भूमिका की जांच की अपील की है.