जनतंत्र ख़ुद इंसाफ़ है क्योंकि वह अपनी ज़िंदगी के बारे में फ़ैसला करने के मामूली से मामूली आदमी के हक़ को स्वीकार करने और हासिल करने का अब तक ईजाद किया सबसे कारगर रास्ता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की चौदहवीं क़िस्त.
भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले के एक आरोपी फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत के दौरान पिछले साल मुंबई के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी, जबकि तेलुगू कवि वरवरा राव चिकित्सकीय ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. सुधा भारद्वाज को भी नियमित ज़मानत पर रिहा किया गया है. 13 अन्य आरोपी विभिन्न जेलों में बंद हैं.
एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा और सागर गोरखे जेल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों ने बताया कि क़ैदियों द्वारा मच्छरदानी का उपयोग देना जोख़िम भरा है, क्योंकि इनका उपयोग कोई व्यक्ति स्वयं या दूसरों का गला घोंटने के लिए कर सकता है. इधर, अदालत ने मामले में शोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग और महेश राउत की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी है.
एनआईए ने कबीर कला मंच के सदस्यों- सागर गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगताप की ज़मानत याचिकाओं का भी विरोध किया. वहीं, आरोपियों के वकील ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उनके मुवक्किलों ने यूएपीए के तहत कोई अपराध किया था जिसके तहत उन पर मामला दर्ज किया गया.
मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने पेगासस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति को एल्गार परिषद मामले के सात आरोपियों- रोना विल्सन, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गॉन्जाल्विस, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, हेनी बाबू और शोमा सेन के मोबाइल फोन सौंपने की एनआईए की अर्ज़ी को मंज़ूरी दी है. इन सभी का आरोप है कि पेगासस के ज़रिये उनके फोन में सेंधमारी की गई थी.
इस पत्र में कहा गया कि साइबर हमलों और भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में साक्ष्यों को प्लांट करने के संबंध में खुलासे को देखते हुए गिरफ़्तार किए गए इन कार्यकर्ताओं को कम से कम ज़मानत दी जानी चाहिए. एल्गार परिषद मामले में अब तक 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इनमें से एक फादर स्टेन स्वामी की कोरोना की वजह से हिरासत में ही मौत हो गई थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते एक दिसंबर को वकील एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तकनीकी ख़ामी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और आठ अन्य आरोपियों की इसी आधार पर ज़मानत की अर्जी खारिज़ कर दी थी. आरोपियों ने दावा किया है कि उन्हें ज़मानत से इनकार करने का आदेश ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ पर आधारित है.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव को इस साल 22 फरवरी को मेडिकल आधार पर अंतरिम ज़मानत दी गई थी. इस मामले में गिरफ़्तार आरोपियों में वह पहले शख्स हैं, जिन्हें अंतरिम राहत दी गई थी. उन्हें पांच सिंतबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था.
एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एक सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. पुलिस का दावा है कि सम्मेलन के अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी. एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में अदालत के समक्ष कहा था कि आरोपी देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना चाहते थे.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद और माओवादियों के बीच संबंधों से जुड़े मामले में एक विशेष अदालत में मसौदा आरोप पेश किया है. मामले में शुरुआती जांच करने वाली पुणे पुलिस ने अपने प्रस्तावित मसौदा आरोपों में कहा था कि हथियार ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या’ की साज़िश से जुड़े थे, जबकि एनआईए ने प्रधानमंत्री का उल्लेख नहीं किया है.
शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.
इंसान की आज़ादी सबसे ऊपर है. जो ज़मानत एक टीवी कार्यक्रम करने वाले का अधिकार है, वह अधिकार गौतम नवलखा या फादर स्टेन का क्यों नहीं, यह समझ के बाहर है. अदालत कहेगी हम क्या करें, आरोप यूएपीए क़ानून के तहत हैं. ज़मानत कैसे दें! लेकिन ख़ुद पर यह बंदिश भी खुद सर्वोच्च अदालत ने ही लगाई है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने कहा है कि उनके खिलाफ मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था, जिसे एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से बरामद होने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि उनके ख़िलाफ़ इकट्ठा किए गए सबूत फ़र्ज़ी हैं और उन्हें प्लांट किया गया है.
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.