महज़ जिहाद शब्द के इस्तेमाल के आधार पर किसी को आतंकी नहीं ठहरा सकते: कोर्ट

महाराष्ट्र के अकोला की एक विशेष अदालत ने तीन लोगों को आतंकवाद के आरोपों से बरी करते हुए कहा कि केवल 'जिहाद' शब्द का इस्तेमाल करने पर किसी को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता.

क्या हिंदुत्ववादियों का भारतीय मुसलमानों को लेकर फैलाया गया झूठ हक़ीक़त में बदल सकता है

2014 के बाद से बिना किसी प्रमाण के देश के मुसलमानों को हिंदू-विरोधी और धार्मिक रूप से कट्टरपंथी बताया जा रहा है. लेकिन डर है कि अगले पांच सालों में उनमें से कुछ ऐसे चुनाव कर सकते हैं, जो उनके समुदाय के बारे में गढ़े गए झूठ को वास्तविकता में बदल देंगे.

बदहवास भारत में भाषा का भसान

जो गांधी के विचारों के समर्थक और शांति के पैरोकार हैं, ख़ुद एक दिमाग़ी बुखार में गिरफ़्तार हैं. हिंसा हमारा स्वभाव हो गई है. हम हमला करने का पहला मौका छोड़ना नहीं चाहते. पढ़ने-सुनने के लिए जो समय और धीरज चाहिए, हमने वह जानबूझकर गंवा दिया है.

महामारी की तरह फैल रहा है वायु प्रदूषण

विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित दस शहरों में से सात शहर भारत से हैं. देश का हर शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य के लिए तय वायु प्रदूषण के सुरक्षित मानदंड से बाहर है. विश्व का हर दसवां अस्थमा का मरीज भारत से है, अगर अब भी नहीं जागे तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है.

प्रज्ञा ठाकुर के माध्यम से भाजपा किसकी आकांक्षा का प्रतिनिधित्व कर रही है

क्या वाकई देश का हिंदू अब इस अवस्था को प्राप्त कर चुका है जहां उसके इंसानी और नागरिक बोध का प्रतिनिधित्व प्रज्ञा ठाकुर जैसों के रूप में होगा?

क्या हैं अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के सही मायने?

वीडियो: अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय महिलाएं बता रहीं हैं कि उनके लिए इस दिन का क्या मतलब है. बीते साल आए विभिन्न कोर्ट के फ़ैसलों को और महिला आंदोलनों को नारीवाद की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है.

13 पॉइंट रोस्टर संविधान में दी गई सामाजिक-आर्थिक न्याय की प्रस्तावना के ख़िलाफ़ है

13 पॉइंट रोस्टर लागू करने का फ़ैसला देश की अब तक प्राप्त सभी सामाजिक उपलब्धियों को ख़त्म कर देगा. इससे विश्वविद्यालय के स्टाफ रूम समरूप सामाजिक इकाई में बदल जाएंगे क्योंकि इसमें भारत की सामाजिक विविधता को सम्मान देने की कोई दृष्टि नहीं है.

सभ्यताएं भले ही चांद पर चली गईं हों, औरतों का कोई देश नहीं

पुस्तक समीक्षा: अपनी किताब ‘नो नेशन फॉर वीमेन’ में प्रियंका दुबे इस बात की पड़ताल करती हैं कि कैसे भारत में महामारी की तरह फैले बलात्कार का कारण हवस कम, पितृसत्ता ज़्यादा है. कैसे औरत को ‘उसकी जगह’ दिखाने के लिए बलात्कार का सहारा लिया जाता है.

राष्ट्रवाद और देशभक्ति सिर्फ़ नारा नहीं: जावेद अख़्तर

पटकथा लेखक और गीतकार जावेद अख़्तर ने कहा कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति का मतलब सामाजिक रूप से जागरूक होना होता है. यह सिर्फ़ नारा नहीं बल्कि एक जीवनशैली है.

पत्नी का पति को थप्पड़ मारना ख़ुदकुशी के लिए उकसाना नहीं: अदालत

एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई कथित थप्पड़ मारने को उकसावा मानता है तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि कथित आचरण ऐसा हो कि कोई सामान्य विवेक का व्यक्ति ऐसी स्थिति में आत्महत्या कर ले.

वीडियो: उर्दू साहित्य और समाज में समलैंगिकता का सवाल

विशेष: उर्दू साहित्य और समाज का समलैंगिकता को लेकर रवैया क्या हमेशा से ही तंग था? भारतीय समाज और इतिहास में समलैंगिकता को लेकर बनी वर्जनाओं (टैबू) के बारे में बता रही हैं यासमीन रशीदी.

शायद हम धर्म, जाति के आधार पर पहले से कहीं अधिक बंटे हुए हैं: जस्टिस गोगोई

देश के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमें क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या कहना चाहिए, क्या पढ़ना और सोचना चाहिए, ये सब अब हमारी निजी ज़िंदगी के छोटे और महत्वहीन सवाल नहीं रह गए है.

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