भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इसके साथ गरिमा जुड़ी हुई है. मीडिया को इस पवित्रता को समझना और पहचानना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस नवीन सिन्हा की सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की है.
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने जिन तीन महिला जजों की सिफ़ारिश की है, उनमें कर्नाटक उच्च न्यायालय की जस्टिस बीवी नागरत्ना, तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं. जस्टिस नागरत्ना देश की पहली महिला सीजेआई बन सकती हैं. 19 मार्च 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में कोई नियुक्ति नहीं हुई है.
केंद्र सरकार द्वारा पिछले दो सालों में जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस करने का यह चौथा मामला है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जैसा कार्य किया, उससे निश्चित तौर पर कहीं बेहतर किया जा सकता था. पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक न्याय का विचार ठंडे बस्ते में चला गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमें इसके साथ जीना होगा.
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी राजनेता की प्रशंसा करते हैं तो वे अधीनस्थ अदालतों को क्या संदेश देते हैं? इसका केवल यही संदेह होता है, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मामले तय न करें. कार्यपालिका के पक्ष में जाने के लिए जज क़ानून के परे जा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने पहली बार अगस्त 2016 में न्यायिक अधिकारी पीके भट्ट के नाम की सिफारिश हाईकोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए की थी.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक साक्षात्कार में कहा कि शीर्ष अदालत अपने संवैधानिक कर्तव्यों को सही तरह से नहीं निभा रही है. भारत का सर्वोच्च न्यायालय अच्छा काम करने में सक्षम है, लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में होने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद 6 सितंबर को उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में होने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
जस्टिस वीके ताहिलरमानी ने छह सितंबर को इस्तीफा दे दिया था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मेघालय हाईकोर्ट में उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. इसी मामले को लेकर विवाद चल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का मेघालय हाईकोर्ट में तबादला करने की सिफारिश की थी. इस फैसले का विरोध करते हुए ताहिलरमानी ने कोलेजियम से पुनर्विचार का अनुरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद जजों की नियुक्तियों को लेकर एक सीमा तय होनी चाहिए.
12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस राजेंद्र मेनन की पदोन्नति करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन 10 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को पदोन्नत किया.
रिटायर्ड जज जस्टिस कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा, 'अगर 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके जस्टिस संजीव खन्ना को जज बनाया जाता है तो ये न्यायपालिका के इतिहास का काला दिन होगा.'