लोकसभा में ड्रग्स की तस्करी को लेकर सर्विलांस से जुड़े मसले पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा था.
पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति के कोई निर्णायक निष्कर्ष न देने के बाद अदालत के पास सच्चाई जानने के दो आसान तरीके हैं. एक, केंद्रीय गृह मंत्री, एनएसए समेत महत्वपूर्ण अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफ़नामे मांगना और दूसरा, समिति के निष्कर्षों की प्रतिष्ठित संगठनों से समीक्षा करवाना.
पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये देश के नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी के आरोपों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति ने कहा है कि वे निर्णायक तौर पर नहीं कह सकते कि डिवाइस में मिला मैलवेयर पेगासस है या नहीं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जासूसी के आरोपों पर सुनवाई जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते वर्ष अक्टूबर में सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में पेगासस स्पायवेयर के कथित दुरुपयोग की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था. पत्रकारों, राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए इसका गठन किया गया था.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार के बजाय शुक्रवार को की जाए क्योंकि बुधवार को वह एक अन्य जिरह में व्यस्त होंगे. वहीं, कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय तकनीकी समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है.
सुप्रीम कोर्ट समिति ने तीन जनवरी को एक नोटिस जारी करके लोगों से अपील की थी कि अगर उन्हें लगता है कि उनका फोन भी पेगासस हमले का शिकार हुआ था तो वे समिति से संपर्क कर सकते हैं.
अमेरिकी के वाणिज्य विभाग ने इस ‘ब्लैकलिस्ट’ में चार कंपनियों को शामिल किया है, जिसमें एनएसओ के अलावा इज़रायल की ही एक कंपनी- कैंडिरू भी शामिल है. विभाग की इस लिस्ट में शामिल की गई कंपनियों को अमेरिकी सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर मुहैया कराने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
पेगासस जासूसी का मामला एक तरह से मीडिया, सिविल सोसाइटी, न्यायपालिका, विपक्ष और चुनाव आयोग जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों पर आख़िरी हमले सरीख़ा था. ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फ़ैसले ने कइयों को राहत पहुंचाई, जो हाल के वर्षों में एक अनदेखी बात हो चुकी है.