द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
आज अयोध्या की ‘बड़ी-बड़ी’ बातों ने कई ‘छोटी’ बातों को इतनी छोटी कर डाला है कि वे न पत्रकारों को नज़र आती हैं, न सरकारी अमले को. ऐसे में उन आम अयोध्यावासियों की तकलीफें अनदेखी की शिकार हैं, जो ‘ऊंची उड़ानों’ पर नहीं जाना चाहते या जिन्हें उन उड़ानों के इंतज़ामकार अपने साथ नहीं ले जाना चाहते.
इन चार पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की आलोचना करने वाली उनकी रिपोर्ट को लेकर तलब किया था. अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर दो पत्रकारों द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी, जबकि दो अन्य पत्रकारों की रिपोर्ट को फाइनेंशियल टाइम्स ने प्रकाशित किया था.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण (हेट स्पीच) को अदालत ने परिभाषित किया है. अब सवाल कार्यान्वयन और समझने का है कि इसे कैसे लागू किया जाए. हम व्यक्तिगत मामलों से नहीं निपट सकते. अगर हम व्यक्तिगत मामलों से निपटना शुरू कर देंगे तो इससे मामलों की बाढ़ आ जाएगी.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि शवों को अनिश्चितकाल तक मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता. अदालत में दी गई दलीलों के अनुसार, 88 पहचाने गए शव मुर्दाघर में हैं, जिन पर उनके परिजनों ने दावा नहीं किया है. छह शवों की कथित तौर पर पहचान नहीं हुई है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद और विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधान ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश इन विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इन्हें ऐसी तकनीक अपनाने के लिए भी सक्षम बनाएंगे, जो प्रभावी कामकाज के लिए व्यवहारिक हो.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि विधायिका द्वारा प्रस्तावित क़ानून केवल इसलिए समाप्त नहीं हो जाता, क्योंकि राज्यपाल उस पर सहमति देने से इनकार कर देते हैं. अंतिम निर्णय विधायिका का है, न कि राज्यपाल का. एक बार जब सदन लौटाया गया विधेयक दोबारा पारित करता है तो राज्यपाल के पास सहमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता.
सुप्रीम कोर्ट केरल सरकार द्वारा लंबित विधेयकों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. पंजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्यपाल अनिश्चितकाल तक विधेयकों को लंबित नहीं रख सकते हैं. राज्यपाल ‘एक प्रतीकात्मक प्रमुख हैं और वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं रोक सकते’.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंजाब सरकार की राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के ख़िलाफ़ याचिका पर अपने फैसले में यह स्पष्ट किया, जिन्होंने राज्य सरकार द्वारा उन्हें भेजे गए विधेयकों को लंबित रखा था. अदालत ने कहा कि राज्यपाल ‘एक प्रतीकात्मक प्रमुख हैं और वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं रोक सकते’.
केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने यह क़दम कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू की शिकायत पर उठाया है. विभाग ने कहा है कि बाबू ने पतंजलि के विज्ञापनों के 29 उदाहरणों का दस्तावेज़ीकरण किया है, जो कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 का उल्लंघन करते हैं.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.