अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री की ओर से सभी सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि अगली सूचना तक महिलाओं की शिक्षा स्थगित करने के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि कट्टरपंथी इस्लामी शासन को इसके परिणाम झेलने होंगे.
अफ़ग़ानिस्तान के अति-रूढ़िवादी तालिबान नेतृत्व ने घोषणा की है कि सत्ता में वापसी के बाद से पहली बार हत्या के दोषी ठहराए गए एक शख़्स को सरेआम मौत की सज़ा दी गई है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लिखे पत्र में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने कहा है कि तालिबानी शासन में अफ़ग़ान पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों और हमलों में खासी बढ़ोतरी हुई है.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कहा कि कम से कम 110 अफ़ग़ान-सिख अब भी वहां फंसे हुए हैं और उनमें से 60 को अभी तक अपना ई-वीज़ा नहीं मिला है. जून में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इस हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बताया कि सीआईए द्वारा काबुल में शनिवार शाम किए गए ड्रोन हमले में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-ज़वाहिरी मारा गया. अमेरिका पर 9/11 को हुए हमलों की साज़िश अल-ज़वाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी. तालिबान ने ज़वाहिरी की हत्या के लिए चलाए गए अमेरिकी अभियान को अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का उल्लंघन कहा है.
पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की सीमा के पास एक ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्र में आए 6.1 तीव्रता वाले भूकंप से हुए विनाश का दायरा बढ़ सकता है. फिलहाल भूकंप से 1,500 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है. भूकंप का केंद्र अफ़गानिस्तान के पक्तिका प्रांत में खोस्त शहर से क़रीब 50 किमी. दक्षिण-पश्चिम में था. भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को सहायता एवं समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर शनिवार सुबह की प्रार्थना के समय आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसमें एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘बर्बर’ आतंकवादी हमले की निंदा की है.
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज़ होने के बाद पहली बार भारत ने एक वरिष्ठ राजनयिक की अगुवाई में अपना प्रतिनिधि दल वहां भेजा है. यात्रा को तालिबान को मान्यता देने की दिशा में क़दम माने जाने के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यात्रा मानवीय सहायता व वितरण से संबंधित है और इसमें ज़्यादा कुछ अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए.
तालिबान द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश अंतिम है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. आचरण एवं नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिजाब या हेडस्कार्फ़ मुस्लिम महिलाओं के लिए आवश्यक है और ढंके हुए चेहरों वाली महिला टेलीविज़न प्रस्तुतकर्ता अफ़ग़ानिस्तान में सभी महिलाओं के लिए अच्छे रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी.
तालिबान की ओर से कहा गया है कि अगर एक महिला घर के बाहर अपना चेहरा नहीं ढकती है तो उसके पिता या निकटतम पुरुष रिश्तेदार को क़ैद कर लिया जाएगा या सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा. तालिबान ने बीते मार्च महीने में देश के अधिकतर हिस्सों में कक्षा छह के बाद लड़कियों को स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
बीबीसी ने इस संबंध में रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि अनिश्चितता और अशांति भरे समय में अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए यह एक चिंताजनक घटनाक्रम है. बताया गया है कि तालिबान की ख़ुफ़िया एजेंसी के आदेश के बाद वॉयस ऑफ अमेरिका का प्रसारण भी बंद कर दिया गया.
अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान शासन ने लड़कियों की उच्च स्कूली शिक्षा पर रोक लगाने का फैसला किया है, जिसके तहत छठी कक्षा से ऊपर के स्कूलों में लड़कियों को जाने की अनुमति नहीं रहेगी. पूर्व में तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष संकल्प जताया था कि वे महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों में कटौती नहीं करेंगे.
अफ़ग़ानिस्तान के स्पिन बोल्डक में जान गंवाने वाले पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी के माता-पिता ने तालिबान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के समक्ष दर्ज कराई शिकायत में तालिबान के छह नेताओं के नामों का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि उनके बेटे की हत्या की जांच की जानी चाहिए.
भारत में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत फ़रीद मामुनड्ज़े ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि जब कठिन वक़्त में अफ़ग़ान नागरिकों को भारतीय मदद की ज़रूरत थी, तो उनकी मदद नहीं की गई. अब तक भारत ने अफ़ग़ानिस्तान से 669 लोगों को निकाला है, जिसमें 448 भारतीय और 206 अफ़ग़ान नागरिक हैं.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स और नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया इन इंडिया द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट उन महिला पत्रकारों पर केंद्रित है, जो अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में रह रही हैं और जो बाहर हैं, जिनकी आजीविका को तालिबान के आने के चलते भारी झटका लगा है.