श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मज़दूरों को न सिर्फ़ खाने-पीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, बल्कि रेलवे द्वारा रूट बदलने के कारण कई दिनों की देरी से वे अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं. इस दौरान भूख-प्यास और भीषण गर्मी के कारण मासूम बच्चों समेत कई लोग दम तोड़ चुके हैं.
दिल्ली में कालरा अस्पताल का मामला. नर्सों का आरोप है कि अगर हम इस्तेमाल किए गए पीपीई किट के दोबारा उपयोग पर आपत्ति जताते हैं तो कहा जाता है कि यहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का इलाज नहीं किया जाता इसलिए यहां संक्रमण का ख़तरा कम है.
बीते दो महीनों में दिल्ली में हज़ारों लोगों के बीच खाना और राशन पहुंचाते हुए देखा कि हम भूख के अभूतपूर्व संकट से गुजर रहे हैं. सैकड़ों लोग बेबसी और अनिश्चितता के अंधेरे में जी रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि अगला निवाला उन्हें कब और किसके रहमोकरम पर मिलने वाला है.
आग लगने की एक अन्य घटना मंगलवार सुबह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के केशवपुरम इलाके में जूते बनाने वाली एक फैक्टरी में हुई. दोनों ही हादसों में किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है.
कोरोना संक्रमित अधिकारी की तैनाती केंद्रीय कारागार नंबर-7 में तैनात थी. इससे पहले दिल्ली की रोहिणी जेल में सहायक अधीक्षक और मंडोली जेल के उपाधीक्षक भी संक्रमित पाए गए थे.
लॉकडाउन के बीच दो महीने बाद घरेलू उड़ान सेवा शुरू होने के बाद दिल्ली में 82 उड़ानें रद्द कर दी गईं. इसके अलावा मुंबई और अन्य शहरों के लिए भी उड़ानें रद्द होने की वजह से यात्रियों को निराशा हुई.
उत्तर प्रदेश के मछलीशहर के रहने वाले जोखन यादव और उनके भतीजे रवीश यादव मुंबई में कंस्ट्रक्शन मज़दूर के रूप में काम करते थे. लॉकडाउन के चलते वे श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर लौट रहे थे, जब वाराणसी पहुंचने से कुछ देर पहले जोखन ने दम तोड़ दिया. उनके भतीजे का कहना है कि उन्होंने क़रीब 60 घंटों से कुछ नहीं खाया था.
महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सिंह सीनियर आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे. उन्होंने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न ओलंपिक (1956) में स्वर्ण पदक जीते थे. किसी ओलंपिक फाइनल में सबसे ज्यादा गोल करने का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है.
कैसे एक व्यक्ति, जिसे दंगों के मामले में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया, को ज़मानत मिल सकती है, लेकिन जिनके पास ऐसा कुछ बरामद नहीं हुआ, वे अब भी सलाखों के पीछे हैं?
पिछले दो सप्ताह से सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही एक विस्तृत 22 सूत्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि अहमदाबाद के अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की भारी कमी है.
देश के 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने आईएलओ को पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि वे विभिन्न राज्यों में श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों को लेकर हस्तक्षेप करें और श्रमिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.
घटना लुधियाना के माधोपुरी इलाके की है, जहां एक व्यक्ति ने नशे में अपनी नाबालिग बेटी से बलात्कार का प्रयास किया था, जिसके बाद उसकी पत्नी ने बेटे के साथ मिलकर ये क़दम उठाया. 2014 में यह व्यक्ति अपनी एक और बेटी से रेप की कोशिश के आरोप में जेल जा चुका था. उस बेटी ने कुछ समय बाद आत्महत्या कर ली थी.
मामला बिहार के शेखपुरा का है. शेखपुरा से जदयू विधायक रणधीर कुमार सोनी एक क्वारंटीन सेंटर का दौरा करने पहुंचे थे. वहां क्वारंटीन किए गए प्रवासी मजदूरों ने उनसे पूछा था कि बिहार और केंद्र में मौजूद एनडीए सरकारें रोजगार क्यों पैदा नहीं कर पा रही हैं?
असम में विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य केके गुप्ता ने पिछले महीने स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को लिखे पत्र में कहा था कि कुछ सदस्यों द्वारा कोविड-19 के लिए इकट्ठा किए गए पैसों को दिल्ली में तबलीगी जमात की बैठक में शामिल होने वालों को राहत देने में इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि वे जिहादी और जाहिल हैं.
दिल्ली कोर्ट ने कहा कि केस के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे.