दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक आतंकी हमले, जिसमें चार जवान मारे गए थे- के बाद सेना के जवानों द्वारा कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. सेना की आंतरिक जांच में पता चला है कि 7-8 जवानों के आचरण में गंभीर खामियां पाई गई हैं, जिसमें विभिन्न स्तरों के अधिकारी भी शामिल हैं.
हज़ारीबाग़ के बरही थाने का मामला. चोरी के आरोपी 25 वर्षीय व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो गई. पुलिस का कहना है कि उसकी मौत आत्महत्या से हुई, जबकि परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि यह 'हिरासत में यातना' का मामला है जिसके कारण मौत हुई.
शाहजहांपुर ज़िले का मामला. आरोप है कि सूरी ट्रांसपोर्ट्स कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर रहे 33 वर्षीय एक व्यक्ति को चोरी के संदेह पर एक खंभे से बांध कर बेल्ट से मारा गया और बिजली के झटके दिए. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. तीन अन्य कर्मचारियों ने भी प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं.
तमिलनाडु में तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. 12वीं की इस छात्रा ने बीते नौ जनवरी को जहर खा लिया था और 19 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी. आरोप है कि छात्रावास में रह रही इस छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जनजातियों को गै़र-अधिसूचित किए जाने के लगभग 73 वर्षों बाद भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार होते हैं. भले ही एक भेदभावपूर्ण क़ानून को न्यायालय असंवैधानिक ठहरा दे या संसद निरस्त कर दे, लेकिन भेदभावपूर्ण व्यवहार फ़ौरन नहीं बदलता है.
एनसीआरबी और क्राइम इन इंडिया की 2001-2020 की रिपोर्ट्स से तैयार किया गया डेटा बताता है कि कुल 1,888 में से 893 में पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए और 358 के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर हुए. हालांकि इन सालों में केवल छब्बीस पुलिसकर्मियों को दोषी साबित किया जा सका.
घटना कोटा ज़िले की है, जहां नयापुरा थाने में एक 32 वर्षीय शख़्स को सार्वजनिक व्यवस्था बाधित करने के आरोप में रखा गया था. पुलिस के अनुसार, उन्होंने कथित रूप से बैरक में बने शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में उनकी जान ली है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने एसपी सिटी से हफ्ते भर के अंदर इस घटना पर रिपोर्ट देने को कहा है.
मामला पंचमहल ज़िले का है. पुलिस के अनुसार, गोधरा बी डिवीजन पुलिस ने बुधवार को क़ासिम अब्दुल्ला नाम के व्यक्ति को गोमांस ले जाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने से पहले उसने गुरुवार तड़के लॉकअप में आत्महत्या कर ली. क़ासिम के परिवार ने घटना की जांच की मांग की है.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले में 24 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले में अजय कुमार यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनके भाई को 11 फरवरी, 2021 को जबरदस्ती अपने साथ ले गई और उन्हें थाने में रखा था. अगले दिन बताया गया कि उनके भाई की मौत हो गई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1997 में एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के मामले में पुलिसकर्मी को ज़मानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 28 दिसंबर, 1997 को कुछ पुलिसकर्मी उनके घर आए और उनके पिता को अपने साथ ले गए. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पिता को बेरहमी से पीटा गया, जिसकी वजह से थाने में ही उनकी मृत्यु हो गई.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश में 2018 से 2020 के दौरान 23 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो गई, जबकि न्यायिक हिरासत में 1,295 लोगों की जान गई. मध्य प्रदेश में इस अवधि के दौरान पुलिस हिरासत 34, जबकि न्यायिक हिरासत में 441 लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि बीते तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 1,189 लोगों को यातना झेलनी पड़ी. पुलिस हिरासत में मौतों और प्रताड़ना के लिए पुलिस के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई का विवरण मांगने पर गृह मंत्रालय ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं इसलिए राज्य सरकारों को ऐसे अपराधों से निपटने का अधिकार है.
बिहार के जहानाबाद का मामला. शराब की अवैध बिक्री के आरोप में गिरफ़्तार शख़्स की बीते 23 जुलाई को हिरासत में मौत हो गई थी. इससे नाराज़ स्थानीय लोगों ने जहानाबाद-अरवल राजमार्ग पर हिंसक प्रदर्शन किया. भीड़ को नियंत्रित करने के प्रयास में एक वाहन ने महिला कॉन्स्टेबल को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
एनजीओ ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ द्वारा संचालित जमशेदपुर ज़िले के एक बाल आश्रय गृह की दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर यौन उत्पीड़न सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. आश्रय गृह से 40 बच्चों को जमशेदपुर के ही दूसरे आश्रय गृह में भेजे जाने के दौरान उनमें से दो बच्चियां लापता हो गई थीं. इनका अब तक पता नहीं लग सका है.
मामला जमशेदपुर ज़िले के राज्य पंजीकृत महिला आश्रयगृह का है, जहां दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों ने संचालक समेत अन्य पर चार सालों से यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पुलिस के अनुसार, मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है और आश्रयगृह के बच्चों को स्थानांतरित किया जा रहा है.