द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और नेशनल पीपुल्स पार्टी प्रमुख ने कहा कि पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति और समाज है और वह ऐसे ही रहना चाहेंगे. उन्होंने यह भी जोड़ा कि विविधता भारत की ताक़त है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में की गई समान नागरिक संहिता की पैरवी पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि उनका विचार सांप्रदायिक तनाव और क़ानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करना है. उन्हें लगता है कि वह इससे अगला चुनाव जीत सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए एक भाषण में समान नागरिक संहिता की पुरज़ोर वकालत की थी. इस पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कहा है कि वे कई मोर्चों पर उनकी सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. एक याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि मामले को सुन रही संविधान पीठ को नए सिरे से गठित करने की ज़रूरत है, क्योंकि पिछली पीठ के दो जज रिटायर हो चुके हैं.
लोकतंत्र के प्रति मोदी सरकार का निरादर भाव काफी गहरा और व्यापक है और यह हर उस संस्था तक फैल चुका है, जिसका काम कार्यपालिका की शक्ति पर अंकुश लगाकर उसे नियंत्रण में रखना है.
वीडियो: भाजपा कोरोना वायरस महामारी के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर पूरे देश में डिजिटल माध्यम से अभियान चलाएगी और सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएगी. भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी कमेटी के सदस्य शेषाद्रि चारी और वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कानून मंत्रालय ने तीन तलाक़ बिल पर किसी भी मंत्रालय या विभाग से विचार-विमर्श नहीं किया था. इसके लिए मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की जल्द ज़रूरत है, इसलिए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की अति-आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.
उत्तर प्रदेश में तीन तलाक़ के सबसे ज़्यादा 26 केस मेरठ में दर्ज हुए हैं. इसके बाद सहारनपुर में 17 और शामली में 10 केस दर्ज किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन तलाक़ के 10 केस सामने आए हैं.
याचिकाओं में तीन तलाक कानून को असंवैधानिक करार देने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि इससे संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक़ हो रहे थे, इसलिए जब तक समाज और ग़लत काम कर रहे मर्दों के दिमाग में क़ानून का डर नहीं आएगा, तब तक तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम का कोई नतीजा नहीं निकलेगा.
सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून मुस्लिम पतियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
तीन तलाक़ का यह क़ानून 21 फरवरी को इस संबंध में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा. विधेयक में पत्नी को तीन तलाक़ के ज़रिये छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि जिस तरीके से विधेयक पारित हो रहे हैं, वह संसद का मज़ाक बनाना है और सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज़ दबाना है.