वीडियो: राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा', आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी की तैयारी समेत विभिन्न विषयों पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनलों को एक एडवाइज़री जारी करते हुए कहा है कि वे ऐसे व्यक्तियों का इंटरव्यू लेने से परहेज़ करें, जिनके ख़िलाफ़ गंभीर अपराध या आतंकवाद के आरोप हैं. एडवाइज़री में मंत्रालय ने किसी व्यक्ति या संगठन का ज़िक्र नहीं किया है.
‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ डॉक्यूमेंट्री घने होते अंधेरों की कथा सुनाती है कि कैसे इसके तिलस्म में देश का लोकतांत्रिक ढांचा ढहता जा रहा है और मीडिया ने तमाम बुनियादी मुद्दों और ज़रूरी सवालों की पत्रकारिता से मुंह फेर लिया है.
द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष आरके पचौरी ने यह दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया था कि मीडिया घरानों ने जान-बूझकर और तिरस्कारपूर्वक अदालत के पहले के आदेशों की अवहेलना की, जिसमें यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित उनके ख़िलाफ़ दावों को प्रकाशित करने से रोक दिया गया था.
बीते साल नवंबर में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टीवी चैनलों को राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर रोज़ 30 मिनट की सामग्री प्रसारित करने को कहा था. अब मंत्रालय ने एक परामर्श में कहा है कि सामग्री का प्रसारण लगातार 30 मिनट का नहीं होना चाहिए, इसे कुछ मिनटों के अलग-अलग ‘स्लॉट’ में तैयार किया जा सकता है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी परामर्श में कहा कि समाचार वेबसाइट, ओटीटी प्लेटफॉर्म और निजी टीवी चैनल ऑनलाइन सट्टेबाजी साइट का विज्ञापन दिखाने से दूर रहें. अन्यथा लागू कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की बात करके देश की दुखती नब्ज़ पर हाथ रखा है, लेकिन जहां तक उसके 'केंद्र के मूकदर्शक बने बैठने' वाले सवाल की बात है, तो यह पूछने वाले को भी पता है और देश भी जानता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरकार व उसे चला रही पार्टी ही हेट स्पीच की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.
विभिन्न टीवी चैनलों पर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशिया-पैसिफिक इंस्टिट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर न्यूज़ चैनल ऐसे मेहमानों को आमंत्रित करते हैं, जो ध्रुवीकरण कर रहे हैं, झूठी ख़बरें फैलाते हैं और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हैं, तो चैनल की विश्वसनीयता कम हो जाती है.
बीते दिनों केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने कई प्राइम टाइम टीवी एंकरों और बड़े चैनलों के संपादकों को यह चर्चा करने के लिए बुलाया कि क्या समाचार चैनलों पर सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाली बहसों को कम किया जा सकता है. मंत्री जी स्पष्ट तौर पर ग़लत जगह इलाज का नुस्ख़ा आज़मा रहे हैं, जबकि असल रोग उनकी नाक के नीचे ही है.
भाजपा की अपदस्थ प्रवक्ता नूपुर शर्मा के एक टीवी चैनल की बहस में पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान को लेकर कानपुर में हुई हिंसा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई आलोचना को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने प्रसारकों से कड़ी सतर्कता बरतने का आह्वान करते हुए कहा कि वे ठहरकर सोचें कि कैसे जानबूझकर विभाजनकारी हालात तैयार किए जा रहे हैं.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने न्यूज़ नेशन के 'धर्मांतरण जिहाद' पर किए गए शो और ज़ी न्यूज़ पर कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के सदस्यों को 'चालाक और गैंग' कहने वाले प्रोग्राम को लेकर फटकार लगाई और इन कार्यक्रमों को चैनल की वेबसाइट, यूट्यूब व अन्य प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया है.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में कहा है कि भारत में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का अधिकार देता है. फ़िर भी सरकार नियमों के साथ छेड़छाड़ करने का विकल्प चुनते हुए नए आईटी क़ानून लेकर आई.
बड़े मीडिया घरानों के संगठन ने नए मीडिया नियमों को ‘अस्पष्ट और मनमाना’ क़रार देते हुए ठीक ही किया है, पर इसे यह भी समझना चाहिए कि परंपरागत मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्मों और हालिया समय में आए डिजिटल समाचार मंचों के बीच अंतर करने की कोशिशें भी बचाव योग्य नहीं हैं.
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.