इलाहाबाद के दक्षिणी और पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक आबादी अधिक है जो अमूमन निर्णायक भूमिका में रहती है. यहां युवाओं से लेकर महिलाओं तक का यही कहना है कि इस बार लड़ाई इज़्ज़त से ज़िंदा रहने और भय से मुक्ति की है.
ग्राउंड रिपोर्ट: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में अपेक्षित भीड़ से निपटने के लिए सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं पर काम चल रहा है. मंदिर के आसपास के क्षेत्र में सालों से छोटी दुकानों पर पूजा सामग्री आदि बेचने वाले दुकानदारों को डर है कि कहीं सरकारी बुलडोजर उनकी आजीविका को भी न कुचल दे.
ग्राउंड रिपोर्ट: हिंदुत्ववादी पोंगापंथी, दूरदर्शिताविहीन शासन और योगी सरकार की टैनरी कामगारों के प्रति बेरुख़ी ने कानपुर के चमड़ा उद्योग को अब तक के सबसे बड़े संकट में धकेल दिया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. भाजपा ने उनके ख़िलाफ़ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है. द वायर ने मैनपुरी की जनता से जानने की कोशिश की कि वह किस प्रत्याशी को वोट देगी.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.
वीडियो: उत्तर प्रदेश की राजनीति के एक प्रभावशाली नेता और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव सपा के टिकट पर क्यों चुनाव लड़ने जा रहे हैं? वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराज़गी को कैसे दूर करेंगे और क्या हो सकते हैं चुनाव परिणाम? द वायर से उनकी बातचीत.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा को छोड़कर उसे क़रारा झटका दिया है. भाजपा ने नुकसान की भरपाई करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तथा स्वामी प्रसाद मौर्य के प्रतिद्वंद्वी आरपीएन सिंह को अपने साथ लिया है. दोनों कद्दावर नेताओं के जनाधार की परीक्षा इस चुनाव में होनी है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. भाजपा ने उन्हें कन्नौज से चुनाव मैदान में उतारा है. कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण से यूपी चुनाव से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर द वायर के याक़ूत अली ने बातचीत की.
वीडियो: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र द वायर की टीम उत्तर प्रदेश के नोएडा में अंबेडकर सिटी पहुंची, जहां के निवासियों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बिजली भी महंगी दरों पर मिल रही है. इसके अलावा उनकी अन्य समस्याओं पर मुकुल सिंह चौहान की उनसे बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीख़ का ऐलान होते ही भाजपा को बड़ा झटका लगा था. कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिपरिषद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मौर्य भाजपा से समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. मौर्य ने द वायर से अपने इस्तीफे की वजह और आगे की रणनीति के बारे में बात की.
वीडियो: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र ज़मीनी हाल जानने द वायर की टीम उत्तर प्रदेश के आगरा के सिरोली गांव पहुंची थी. यहां सड़क पर जमा हो रहे पानी को हटाने के उपाय करने की मांग को लेकर नागरिक पिछले 100 दिनों से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे दलित हैं, इसलिए उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनकी राजनीतिक कार्यशैली और चुनावी वादों पर ब्रिटेन स्थित बाथ विश्वविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफेसर और अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान की बातचीत.
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ सपा में जाने और फिर आरपीएन सिंह के कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद उत्तर प्रदेश में कुशीनगर ज़िले के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह उलट-पुलट गए हैं. आरपीएन के ज़रिये भाजपा मौर्य के राजनीतिक प्रभाव को काटने में लगी है तो सपा मौर्य के साथ अपने पार्टी के बड़े नेताओं के बीच संतुलन बिठाने में लगी है.
गोरखपुर शहर सीट पर विपक्ष बेमन से चुनाव लड़ता रहा है. पिछले तीन दशक से सपा, कांग्रेस, बसपा के किसी भी नेता ने इस सीट को केंद्रित कर राजनीतिक कार्य नहीं किया, न ही इसे संघर्ष का क्षेत्र बनाया. हर चुनाव में इन दलों से नए प्रत्याशी आते रहे और चुनाव बाद गायब हो जाते रहे. इसी के चलते भाजपा यहां मज़बूत होती गई.
चार जनवरी को इलाहाबाद में रहकर पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र अचानक सड़कों पर निकल आए और ताली-थाली पीटते हुए लंबित भर्तियों को भरने की मांग करने लगे. उनका कहना था कि वे रोज़गार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोई हुई सरकार को नींद से जगाना चाहते हैं.