देहरादून के नामी दून स्कूल में बुधवार को सनातन संस्कृति नाम के संगठन से जुड़े लोग दीवार फांदकर घुसे और कथित तौर पर मज़ार जैसी संरचना को ध्वस्त कर दिया. संगठन ने इसके लिए सरकारी अनुमति होने का दावा किया है, पर ज़िला प्रशासन का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया.
उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की ज़मीन पर बसे लगभग 50,000 लोगों को बेदख़ल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर 5 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. रेलवे ने सर्वोच्च न्यायालय से अपने उक्त आदेश में संशोधन करने की मांग की है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण या जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करना.
उत्तराखंड राज्य आपातकालीन नियंत्रण केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक़, अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा के दौरान अब तक सर्वाधिक 96 मौतें केदारनाथ मार्ग पर हुईं. इसके बाद यमुनोत्री में 34, बद्रीनाथ में 33, गंगोत्री में 29, हेमकुंड साहिब में 7 और गोमुख में 1 मौत हुई हैं.
उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने मदरसों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के अलावा मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का भी वादा करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम वैज्ञानिक शिक्षा और इस्लामी अध्ययन का एक मिश्रण होगा और छात्र अंग्रेज़ी के साथ संस्कृत और अरबी दोनों सीख सकेंगे.
उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीखों की घोषणा के साथ ही जेपी और मारवाड़ी के बीच जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग के साथ सड़क के एक हिस्से पर दरारें पाई गई हैं. चमोली के डीएम ने बताया कि सीमा सड़क संगठन को दरारों का परीक्षण करने और सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं.
भूस्खलन और जोशीमठ शहर के डूबने के कारणों की जांच के लिए गठित एक समिति ने 7 मई, 1976 को अपनी रिपोर्ट में भारी निर्माण कार्य, ढलानों पर कृषि और पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के सुझाव दिए थे. अब स्थानीयों ने मौजूदा स्थिति के लिए बिजली और सड़क परियोजनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समितियां गठित करने के उन राज्य सरकारों के फैसलों को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि संविधान राज्यों को इस तरह की समितियों के गठन का अधिकार देता है.
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बीते मई महीने में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के उद्देश्य से समिति का गठन किया था. इसे सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक़, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले क़ानूनों के एक समान समूह के रूप में संदर्भित किया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो.
उत्तराखंड सरकार द्वारा कार्बेट टाइगर रिज़र्व में प्रस्तावित टाइगर सफारी परियोजना के लिए 163 पेड़ काटे जाने की अनुमति थी, लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट बताती है कि काटे गए पेड़ों की संख्या 6,000 से अधिक है.
उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने एक अधिकारिक आदेश जारी करते हुए अपने विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, आंगनबाड़ी-मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को निर्देश दिया है कि वे सभी 26 जुलाई को अपने-अपने घरों के पास स्थित शिव मंदिरों में ‘जलाभिषेक’ करें और फोटो ईमेल व वॉट्सऐप ग्रुप में डालें.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 26 जून तक चारधाम यात्रा पर आने वाले 203 श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी कारणों से जान चली गई. इनमें से सबसे ज़्यादा 97 लोगों की मौत केदारनाथ में हुई, जबकि बद्रीनाथ में 51, यमुनोत्री में 42 और गंगोत्री में 13 तीर्थयात्रियों ने जान गंवाई है.
उत्तराखंड सरकार के एक आदेश में कहा गया है कि पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई करेंगी, जो वर्तमान में भारत के परिसीमन आयोग की प्रमुख हैं. अन्य सदस्यों में दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल हैं.
उत्तराखंड के विभिन्न ज़िलों में भीड़ हिंसा और नफ़रत की राजनीति के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन करते हुए राज्य में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताई है. कोरोना की पहली लहर में सरकार ने ताली-थाली बजवाई थी, उसी तर्ज पर इस दौरान कनस्तर बजाकर नारे लगाए गए और हिंसा ख़त्म करने की अपील की गई. साथ में नारे लिखे पोस्टर दिखाकर सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया गया.
उत्तराखंड सरकार का ये बयान भाजपा नेता अजेंद्र अजय द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हाल ही में लिखे गए एक पत्र के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि एक विशेष समुदाय के लोग न केवल अपने पूजा स्थल बना रहे हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ज़मीन भी ख़रीद रहे हैं, जिससे राज्य के मूल निवासियों का पलायन हो रहा है.