ईवीएम को लेकर वीडियो पर पत्रकार समेत दो यूट्यूब चैनल को नोटिस, मॉनेटाइजेशन बंद किया गया

यूट्यूब ने स्वतंत्र पत्रकार सोहित मिश्रा और क्रिएटर मेघनाद को ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों से संबंधित उनके कुछ वीडियो को लेकर चेतावनी दी है और इन वीडियो से होने वाली विज्ञापन आय (मॉनेटाइजेशन) पर अंकुश लगाया है.

क्यों चुनाव आयोग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है?

बिना कोई कारण बताए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफ़ा इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे संदेह के घेरे में आ गई है.

ईवीएम से मतदान लोकतंत्र के लिए सर्वोपरि माने जाने वाले किसी भी सिद्धांत का पालन नहीं करता

मत-पत्रों की पूर्ण पारदर्शिता के विपरीत, ईवीएम-वीवीपैट प्रणाली पूरी तरह से अपारदर्शी है. सब कुछ एक मशीन के भीतर एक अपारदर्शी तरीके से घटित होता है. वहां क्या हो रहा है, उसकी कोई जानकारी मतदाता को नहीं होती. न ही उसके पास इस बात को जांचने या संतुष्ट होने का ही कोई मौका होता है कि उसका मत सही उम्मीदवार को ही गया है.

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राज्यों ने ईवीएम ख़राबी की उच्च दर की जानकारी चुनाव आयोग को दी थी: आरटीआई

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के निदेशक वेंकटेश नायक द्वारा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले ईवीएम की बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट में ख़राबी की रिपोर्ट कई राज्य करते रहे थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम निर्माताओं से ख़राबी की उच्च दर के कारण खोजने के लिए संपर्क किया गया था.

2024 के लोकसभा चुनावों की निगरानी के लिए सैम पित्रोदा और सिविल सोसाइटी विशेषज्ञ समूह बनाएंगे

द सिटिजेंस क​मीशन ऑन इलेक्शन और इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा 2024 के लोकसभा चुनावों की निगरानी के लिए एक समूह बनाएंगे. पित्रोदा ने कहा कि नागरिकों का ईवीएम से चुनाव कराने की वर्तमान प्रणाली पर से विश्वास उठ गया है. अगर विश्वास की कमी को पूरा करना है तो चुनाव कराने का एकमात्र तरीका मत-पत्र हैं.

एक साथ चुनाव करवाने के लिए पर्याप्त ईवीएम जुटाने में चुनाव आयोग को सालभर लगेगा: रिपोर्ट

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) बनाने के लिए ज़रूरी सेमीकंडक्टर और चिप्स की कमी है, जिसका अर्थ है कि एक साथ मतदान के लिए निर्वाचन आयोग को तैयार होने में तक़रीबन एक साल तक का समय लगेगा.

दिल्ली हाईकोर्ट ने ईवीएम सीरियल नंबर, निर्माताओं की जानकारी मांगने वाली याचिका ख़ारिज की

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख द्वारा दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) पूरी होने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ईवीएम के सीरियल नंबर और निर्माताओं की जानकारी विवरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

प्रवासी वोटर्स के लिए दूरस्थ मतदान की संभावनाएं तलाशने का समय आ गया है: निर्वाचन आयोग

निर्वाचन आयोग ने कहा कि प्रवासी मतदाताओं के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें राजनीतिक दलों और मतदाताओं सहित सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद दूरस्थ मतदान की संभावनाएं तलाशना शामिल है.

ऑडिट में खामियां दिखाने वाली ईवीएम और वीवीपैट की संख्या बताई जाए: सीआईसी

सीआईसी का यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की याचिका पर आया है, जिन्होंने ईवीएम और वीवीपैट की फर्मवेयर की जांच से संबंधित सूचना मांगी थी. फर्मवेयर किसी हार्डवेयर उपकरण पर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है. इन ईवीएम और वीवीपैट इकाइयों का इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव में किया गया था.

लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने ईवीएम पर ख़र्च किए क़रीब 4000 करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में लोकसभा चुनावों के लिए 1000 करोड़ रुपये चिह्नित किए गए हैं. वहीं, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आम चुनाव के ख़र्च पर केंद्र सरकार की ओर से सहायता के लिए 339.54 करोड़ रुपये चिह्नित किए गए हैं.

चुनाव आयोग को ईवीएम-वीवीपैट के बारे में संदेह दूर करना चाहिए: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है. ईवीएम प्रणाली समाप्त करने की बजाय, इन मशीनों में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिए.

ईवीएम के मतों से पहले नहीं होगी वीवीपैट पर्चियों की गिनती

चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की ईवीएम के मतों की गिनती से पहले वीवीपैट की पर्चियों को गिनने की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा है कि मतगणना पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 100 फीसदी वीवीपीएटी सत्यापन की मांग वाली याचिका ख़ारिज की

एक संगठन ने अपनी याचिका में कहा था कि ईवीएम विश्वसनीय नहीं है, इसकी टैंपरिंग की जा सकती है. संगठन मांग की थी कि ईवीएम की जगह ऑप्टिकल बैलेट स्कैन मशीन के ज़रिये मतदान कराया जाना चाहिए.

द वायर बुलेटिन: एक महीने में टीवी चैनलों ने नरेंद्र मोदी को 722 घंटे दिखाया, जबकि राहुल गांधी को सिर्फ़ 251 ​घंटे

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