मथुरा: चरित्र जांचने के लिए महिला के हाथ पर रखे अंगारे, मामला दर्ज

मथुरा के मजरा नगला बरी गांव की घटना. कथित तौर पर चरित्र पर शक होने के चलते पति ने पत्नी से भरी पंचायत में हाथों पर अंगारे रखवाए, जिससे उसके हाथ गंभीर रूप से झुलस गए. पुलिस ने महिला के पति समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.

महिलाएं शंकराचार्य नहीं बन सकतीं, यह पद स्त्री के लिए नहीं है: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद

द्वारका-शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कहा कि शनि मंदिर में स्त्री का प्रवेश वर्जित है क्योंकि शनि क्रूर ग्रह है. उसकी दृष्टि स्त्री पर पड़ी तो उसे नुकसान हो सकता है.

इस देश में गाय सुरक्षित हैं, महिलाएं नहीं: उद्धव ठाकरे

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ को दिए साक्षात्कार में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी सहयोगी दल भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि जिस प्रकार आज देश में हिंदुत्व का पालन किया जा रहा है, उसे शिवसेना स्वीकार नहीं करती.

महिलाओं के लिहाज़ से भारत विश्व में सबसे ख़तरनाक देश: सर्वे

थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वे में 193 देशों को शामिल किया गया था, जिनमें से महिलाओं के लिए बदतर शीर्ष 10 देशों का चयन किया गया. सूची में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और सीरिया दूसरे और तीसरे, सोमालिया चौथे और सउदी अरब पांचवें स्थान पर है.

बिहार के पूर्णिया में डायन होने के आरोप में परिजनों ने महिला की पीट-पीट कर हत्या की

मृतक की बेटी का कहना है कि उसके चाचा कुछ समय से बीमार थे. उनकी मौत हो जाने के बाद उनके बेटों ने डायन होने और जादू-टोने का आरोप लगाकर पेड़ से बांधकर उनकी पिटाई की जिससे उनकी मौत हो गई.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय: जो धार्मिक पाठ ही नहीं है, उसको लेकर हंगामा है क्यों बरपा…

एएमयू को एक लड़की की गुस्ताख़ी पसंद नहीं आई, इसलिए एक ऐसा नारा जो इस्लामिक भी नहीं है उस पर हायतौबा मची है. ये देखना भी कम दिलचस्प नहीं है कि यूनिवर्सिटी किसी ज़िम्मेदार शैक्षणिक संस्थान की तरह व्यवहार करने की बजाय फ़तवे की किताब खोलकर बैठ गई है.

लैंगिक भेदभाव के चलते गुजरात में हर साल 9,000 से अधिक बेटियों की अकाल मौत

विकास और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राज्य मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय की स्थिति बाल मृत्युदर के मामले में गुजरात से बेहतर है. वहीं, ज़्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर कम है.

मंटो की कहानियां सभ्यता के गाल पर तमाचा मारती हैं

यह विडंबना है कि ज़िंदगी भर अपने लिखे हुए के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने वाला, मुफ़लिसी में जीने और समाज की नफ़रत झेलने वाला मंटो आज ख़ूब चर्चा में है. इसी मंटो ने लिखा था कि मैं ऐसे समाज पर हज़ार लानत भेजता हूं जहां यह उसूल हो कि मरने के बाद हर शख़्स के किरदार को लॉन्ड्री में भेज दिया जाए जहां से वो धुल-धुलाकर आए.

क्या आधुनिक शिक्षा के पैरोकार सर सैयद अहमद ख़ान औरतों की तालीम के ख़िलाफ़ थे?

सर सैयद का मानना था कि जब मर्द लायक़ हो जाते हैं, तब औरतें भी लायक़ हो जाती हैं. जब तक मर्द लायक़ न हों, औरतें भी लायक़ नहीं हो सकतीं. यही सबब है कि हम कुछ औरतों की तालीम का ख़्याल नहीं करते हैं.

औरत का मुसलमान होना भी औरत होने की तरह ही ख़तरनाक है…

औरत सिर्फ़ औरत हो तो शायद उसके हिस्से का अज़ाब कट जाए, लेकिन वो औरत के साथ मुसलमान भी हो तो अपने अज़ाब के साथ कटती ही नहीं, मरती है और मरती रहती है.

क्यों महिलाओं की आर्थिक-राजनीतिक अधिकारों की लड़ाई बाज़ार के डिस्काउंट तक सिमट गई है?

अंतरराष्ट्रीय ‘श्रमजीवी’ महिला दिवस से श्रमजीवी शब्द को हटाना मज़दूर महिलाओं के संघर्ष और इस दिन के इतिहास के महत्व को कम करता है.

संस्कृति का बखान करने वाले आधी आबादी के मुद्दों पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं?

यह कैसा समाज है जहां जीवित इंसान की कोई कीमत नहीं पर मृत व्यक्ति के सम्मान की रक्षा के नाम पर लोग सड़क पर उतर आते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं, यहां तक कि हिंसा करने से भी नहीं चूकते.