फिल्म लेखक और समीक्षक जयप्रकाश चौकसे का निधन

हिंदी अख़बार ‘दैनिक भास्कर’ में लगातार 26 साल से ‘परदे के पीछे’ के नाम का स्तंभ लिखने वाले 82 वर्षीय फिल्म लेखक और समीक्षक जयप्रकाश चौकसे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. पांच दिन पहले ही उन्होंने इस स्तंभ की आख़िरी किश्त लिखते हुए अपने पाठकों से विदा मांगी थी.

इब्राहीम अश्क: न जाने कितनी ज़बानों से हम बयां होंगे…

स्मृति शेष: इब्राहीम अश्क फ़िल्मी गीतकारों से बहुत अलग थे और साहित्य की हर करवट पर नज़र रखते थे. फ़िल्मी और पेशेवर शायर कहकर उनके क़द को अक्सर ‘कमतर’ बताया गया. शायद इसलिए भी अश्क ने अपनी कई आलोचनात्मक तहरीरों में कथित साहित्यकारों की ख़ूब ख़बर ली.

दामोदर मौउजो को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार के बहाने क्या दक्षिणपंथी अतिवाद पर चर्चा शुरू होगी

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मौउजो के पास वह क्षमता है जो उन्हें तात्कालिक बात से आगे देखने का मौक़ा देती है, जिसने उन्हें इस बात के लिए भी प्रेरित किया है कि वह ताउम्र महज़ कलम और कागज़ तक अपने को सीमित न रखें बल्कि सामाजिक-राजनीतिक तौर पर अहम मुद्दों पर भी बोलें, यहां तक कि समाज में पनप रहे दक्षिणपंथी विचारों, उनकी डरावनी हरकत के बारे में भी मौन न रहें.

रघुवीर सहाय: स्वाधीन इस देश में चौंकते हैं लोग एक स्वाधीन व्यक्ति से…

जन्मदिन विशेष: रघुवीर सहाय ने संसदीय जनतंत्र में आदमी के बने रहने की चुनौतियों को शायद किसी भी दूसरे कवि से बेहतर समझा था. सत्ता और व्यक्ति के बीच के रिश्ते में ख़ुद आदमी का क्षरित होते जाना. हम कैसे लोग हैं, किस तरह का समाज?

प्रख्यात लेखक और कथाकार मन्नू भंडारी का निधन

मन्नू भंडारी को ‘नई कहानी’ आंदोलन के अग्रदूतों में से एक माना जाता था, जो एक हिंदी साहित्यिक आंदोलन था. वह स्वतंत्रता बाद के उन लेखकों में से एक थीं, जिन्होंने महिलाओं के बारे में लिखा तथा अपने लेखन में मज़बूत और स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में उन पर एक नई रोशनी डाली थी. अपने लेखन से उन्होंने महिलाओं के यौन, भावनात्मक, मानसिक और वित्तीय शोषण को भी चुनौती दी थी.

कमला भसीन: सरहद पर बनी दीवार नहीं, उस दीवार पर पड़ी दरार…

स्मृति शेष: प्रख्यात नारीवादी कमला भसीन अपनी शैली की सादगी और स्पष्टवादिता से किसी मसले के मर्म तक पहुंच पाने में कामयाब हो जाती थीं. उन्होंने सहज तरीके से शिक्षाविदों और नारीवादियों का जिस स्तर का सम्मान अर्जित किया, वह कार्यकर्ताओं के लिए आम नहीं है. उनके लिए वे एक आइकॉन थीं, स्त्रीवाद को एक नए नज़रिये से बरतने की एक कसौटी थीं.

नहीं रहीं प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता और लेखक कमला भसीन

भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में नारीवादी आंदोलन की प्रमुख आवाज़ रहीं 75 वर्षीय कमला भसीन का शनिवार तड़के निधन हो गया. वे लैंगिक समानता, शिक्षा, ग़रीबी-उन्मूलन, मानवाधिकार और दक्षिण एशिया में शांति जैसे मुद्दों पर 1970 से लगातार सक्रिय थीं.

प्रख्यात शोधकर्ता और लेखिका गेल ओमवेट का निधन

जातिगत अध्ययनों पर प्रख्यात शोधकर्ता 81 वर्षीय डॉ. गेल ओमवेट का लंबी बीमारी के बाद महाराष्ट्र के सांगली में निधन हो गया. पहली बार पीएचडी छात्रा के रूप में महाराष्ट्र में जाति व महात्मा फुले के आंदोलन का अध्ययन करने आईं अमेरिकी मूल की ओमवेट भारत में जाति और अस्पृश्यता व्यवस्था से व्यथित होकर उत्पीड़ित जातियों की मुक्ति पर काम करने के लिए यहां बस गई थीं.

व्यंग्य में छिपी बातें अब राजनीति और समाज में खुलेआम हो रही हैंः ज्ञान चतुर्वेदी

वीडियो: व्यंग्य के रूप में हिंदी साहित्य में हम हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल जैसे नामों को हम देखते आए हैं. वर्तमान में इन नामों की परंपरा को आगे सहेजने वालों में ज्ञान चतुर्वेदी जी का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. 70 के दशक में धर्मयुग पत्रिका से अपनी व्यंग्य यात्रा शुरू करने वाले ज्ञान चतुर्वेदी ने अपनी रचनाओं के ज़रिये इस विश्वास को आधार भी दिया है. हाल ही में उनकी किताब नेपथ्य लीला आई है.

कोविड-19: कहानीकार मंज़ूर एहतेशाम और फिल्म संपादक वामन भोंसले का निधन

बीते रविवार को बनारस घराने के प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का दिल्ली के एक अस्पताल में कोविड-19 समस्याओं के चलते निधन हो गया. उनके लिए वेंटिलेटर उपलब्ध कराने के लिए काफ़ी प्रयास किए गए थे, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल सकी.

सागर सरहदी, जो ताउम्र विभाजन के विषाद और उजड़ जाने का एहसास लिए जीते रहे

स्मृति शेष: सागर सरहदी इस एहसास के साथ जीने की कोशिश करते रहे कि दुनिया को बेहतर बनाना है. मगर अपनी बदनसीबी के सोग में इस द्वंद्व से निकल ही नहीं पाए कि साहित्य और फिल्मों के साथ निजी जीवन में भी एक समय के बाद अपनी याददाश्त को झटककर ख़ुद से नया रिश्ता जोड़ना पड़ता है.

सागर सरहदी: हक़-ए- बंदगी… अदा कर चले

स्मृति शेष: प्रख्यात लेखक-फिल्मकार सागर सरहदी कभी विभाजन से संगत नहीं बैठा पाए. बंबई में बस जाने के बावजूद उनके अंदर का वह शरणार्थी लगातार अपने घर, अपनी जड़ों की तलाश में ही रहा.

प्रख्यात लेखक और शायर शमसुर रहमान फ़ारूक़ी का निधन

पद्मश्री से सम्मानित 85 वर्षीय शमसुर रहमान फ़ारूक़ी हाल ही में कोरोना वायरस संक्रमण से उबरे थे. उन्हें 16वीं सदी में विकसित हुई उर्दू में कहानी सुनाने की कला ‘दास्तानगोई’ को पुनर्जीवित करने के लिए भी जाना जाता है.

बॉलीवुड में हिंदी का चेहरा: आशुतोष राना

वीडियो: मध्य प्रदेश के गाडरवारा में जन्मे आशुतोष राना रामलीला के किरदारों से अपनी जगह बनाते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के गलियारों तक पहुंचे और साल 1995 में टीवी धारावाहिक 'स्वाभिमान' से बतौर फिल्मी अभिनेता बने. इन्होंने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मराठी फिल्में भी कीं. इसके अलावा कुछ किताबें लिखी हैं. उनसे द वायर की दामिनी यादव की बातचीत.