वीडियो: कर्नाटक में भाजपा की हार को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने बस शुरुआत बताया. उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया किया कि कैसे 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने में कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल ज़रूरी भूमिका निभा सकते हैं. उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
भाजपा के नेतृत्व वाली राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई मतगणना में मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया. सिन्हा ने हार स्वीकार करते हुए उन्हें बधाई दी है.
सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर स्पष्ट किया कि सपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन बरक़रार है और वह गठबंधन से अलग नहीं हो रहे हैं. सपा विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रही है. सिन्हा की सात जुलाई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा द्वारा उन्हें आमंत्रित नहीं करने पर राजभर ने निराशा भी व्यक्त की है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह फैसला न तो भाजपा या राजग के समर्थन में है और न ही कांग्रेस समर्थित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के ख़िलाफ़ है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के समय बसपा को परामर्श से दूर रखने के लिए मायावती ने विपक्षी दलों की आलोचना भी की. उनके अलावा वाईएसआर कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की घोषणा की है.
भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की गई. निर्वाचित होने पर वे आदिवासी समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी.
राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार द्वारा संसद भवन में बुलाई गई बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति जताई. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान पढ़ते हुए कहा कि हमें खेद है मोदी सरकार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाख़िल करने की प्रक्रिया बीते 15 जून से शुरू हो गई है, जो 29 जून तक चलेगी. फिलहाल भाजपा 18 जुलाई को होने वाले 16वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के बारे में चुप्पी साधे हुए है. चुनाव नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे.
चार राज्यों में लोकसभा की एक और विधानसभाओं की चार सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा की विफलता राज्यों या देश की राजनीति में किसी बड़े परिवर्तन का संकेत नहीं हैं. कोई ऐसी अपेक्षा भी नहीं कर रहा. लेकिन उनमें छिपे भाजपा के सामूहिक नकार को समझना इस अर्थ में बहुत ज़रूरी है कि यह जानबूझकर रचे जा रहे भाजपा के अजेय होने के मिथक को तोड़ता है.
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के संदर्भ में एक साक्षात्कार के दौरान पूर्व विदेश मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर इसी तरह ज़्यादा शक्तिशाली देश, दूसरे देश के ऊपर आक्रमण करें तो कल चीन को भी यह मौका मिलेगा कि वह ताइवान के ऊपर हमला करे या हमारे यहां लद्दाख और अरुणाचल में.
मोदी सरकार का पिछले साढ़े चार साल का अनुभव यह बताने के लिए काफ़ी है कि एक नेता या एक वर्चस्वशाली पार्टी के इर्द-गिर्द बनी सरकारें घमंडी और अक्खड़ जैसा व्यवहार करने लगती हैं और आलोचनाओं को लेकर कठोर हो जाती हैं.
कोलकाता में विपक्ष की यूनाइटेड इंडिया रैली में एकजुट नज़र आए विपक्ष के नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा के ख़िलाफ़ भरी हुंकार. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी-शाह की जोड़ी 2019 में चुनाव जीतती है तो संविधान बदल देगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को मिलकर लड़ना होगा.
वीडियो: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की नई किताब ‘इंडिया अनमेड’ के बारे में उनसे बातचीत कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद कि अंबानी का नाम भारत सरकार की तरफ से आया था, राफेल विवाद में संदेह की सूई निर्णायक रूप से नरेंद्र मोदी की तरफ़ मुड़ गई है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री ने भारत के साथ विश्वासघात और सैनिकों के लहू का अपमान किया. ओलांद के बयान पर फ्रांस सरकार ने दी सफाई, राफेल बनाने वाली कंपनी ने खुद रिलायंस डिफेंस को चुना.
भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण का आरोप है कि नरेंद्र मोदी द्वारा राफेल सौदे में किए गए बदलावों का उद्देश्य सिर्फ चहेते पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना था.