राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंटने के बाद के बाद से राज्य में बंद है. एक अधिकारी ने बताया कि पैलेट से घायल 36 लोगों में से 8 बंद के पहले हफ्ते में घायल हुए थे. इस दौरान पत्थरबाजी की 200 घटनाएं हुईं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वह कई मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार से असहमत हैं, लेकिन यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान या कोई दूसरा देश इसमें दखल नहीं दे सकता.
कश्मीर घाटी में 22वें दिन भी दुकानें और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे. श्रीनगर के लाल चौक और प्रेस एन्क्लेव क्षेत्र में अब भी लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं बंद हैं. मोबाइल सेवाएं और बीएसएनएल ब्रॉडबैंड तथा इंटरनेट संबंधी अन्य सेवाएं पांच अगस्त से ही बंद हैं.
नया यूएपीए क़ानून सरकार को अभूतपूर्व शक्तियां देने वाला है, जो उसकी ताक़त के साथ ही उसकी जवाबदेही भी बढ़ाता है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है.
प्रेस काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय हितों का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर में मीडिया पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन किया था.
बीते पांच अगस्त को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय लिया गया था.
इससे पहले विदेशी नागरिक प्राधिकरण कारगिल युद्ध में भाग ले चुके मोहम्मद सनाउल्लाह और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान मामुद अली को भी विदेशी घोषित कर चुका है. सनाउल्ला की घटना के तुरंत बाद, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि किसी भी जवान को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी.
सूचना के इस युग में किसी सरकार का इतनी आसानी से एक पूरी आबादी को बाकी दुनिया से काट देना दिखाता है कि हम किस ओर बढ़ रहे हैं.
नई दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार को डीएमके के नेतृत्व में कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई और सीपीएम सहित कई अन्य पार्टियों ने एक साथ आकर जम्मू कश्मीर में हालात को सामान्य करने, घाटी में संचार सेवाओं को दुरुस्त करने और हिरासत में लिए गए सभी राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग की.
संचार के सारे साधनों को काटकर, उन्हें काबू में रखने के लिए सुरक्षा बलों के इस्तेमाल का मक़सद कश्मीरियों को यह याद दिलाना है कि उनका अपना कोई वजूद नहीं है- उनका अस्तित्व सत्ता के हाथ में है, वो सत्ता जिसका प्रतिनिधित्व वहां हर जगह मौजूद सेना कर रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सभी क़ानूनी पहलुओं पर विचार किए जाने के बाद सैद्धांतिक रूप से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाने का फैसला किया गया है जहां मानवाधिकार उल्लंघन को केंद्र में रखकर उठाया जाएगा.
एनआरसी के प्रकाशन को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए एबीवीपी ने कहा कि वर्तमान सूची में बहुत से मूल निवासियों के नाम छूटे हैं और अवैध प्रवासियों के नाम जोड़े गए हैं. जब तक इसे दोबारा सत्यापित कर सौ फीसदी 'त्रुटिहीन' नहीं बनाया जाता, इसका प्रकाशन नहीं होना चाहिए.
गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा गया कि अगर किसी का नाम सूची में नहीं है तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में 120 दिन के अंदर अपील दायर कर सकते हैं. यह समय सीमा पहले 60 दिन की थी.
शेहला राशिद के सेना द्वारा पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना देने के आरोपों को सेना ने ख़ारिज करते हुए आधारहीन बताया. शेहला का कहना है कि अगर सेना इनकी निष्पक्ष जांच करना चाहे, तो वे ऐसी घटनाओं की जानकारी दे सकती हैं.