मैक्स अस्पताल की ऑक्सीजन आपूर्ति संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति केंद्र के ज़िम्मे है और उसके आवंटन आदेश का पालन न किए जाने पर स्थानीय अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है.
देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चार बिंदुओं- ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण की विधि और लॉकडाउन घोषित करने की राज्य की शक्ति पर संज्ञान लेने का प्रस्ताव कर रहा है और इस बारे में एक राष्ट्रीय योजना के लिए नोटिस जारी करना चाहता है.
गुजरात के बनासकांठा ज़िले के डीसा शहर का मामला. ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि उनके पास मंगलवार तक ही स्टॉक था और नए स्टॉक का आदेश दिया गया था जो दिन में पहुंचा. इसी बीच ऑक्सीजन की कमी से दो मरीज़ों ने दम तोड़ दिया.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थिति एक निजी अस्पताल का मामला. मरीज़ों की मौत से नाराज़ उनके परिजन ने अस्पताल में खूब हंगामा किया. अस्पताल प्रशासन कहना है कि किसी भी मरीज़ की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत नहीं हुई है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की तत्काल ज़रूरत पर याचिका सुनते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जब तक ऑक्सीजन का आयात नहीं होता तब तक अगर इस्पात-पेट्रोलियम जैसे उद्योग कम क्षमता के साथ काम करें तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा. लेकिन अस्पतालों को ऑक्सीजन नहीं मिली तो तबाही मच जाएगी. हम लोगों को ऑक्सीजन की कमी के कारण मरते हुए नहीं देख सकते.
कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच राष्ट्रीय राजधानी में उपजे 'ऑक्सीजन संकट' की चेतावनी के बाद मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह कुछ बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है. ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देते हुए कहा था कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं.
कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप की वजह से राजधानी दिल्ली समेत देश विभिन्न शहरों में ऑक्सीजन, वेटिंलेटर और अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की ख़बरें आ रही हैं. दिल्ली हाईकोर्ट पीठ ने केंद्र सरकार से यह जानकारी देने को कहा कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच भोपाल में भाजपा के स्थानीय नेता कुछ नये ‘मुक्ति वाहनों’ को समारोहपूर्वक फोटो खिंचवाकर रवाना करते हुए नज़र आए. कांग्रेस ने इस पर तंज़ कसते हुए कहा कि 'फोटोबाज़ी' करके आपदा में भी अवसर तलाशा जा रहा है. इससे पहले इंदौर में भाजपा नेताओं द्वारा ऑक्सीजन लेकर पहुंचे टैंकर के सामने पूजा-पाठ करने पर भी विवाद हुआ था.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा एवं देशव्यापी समस्या होने के कारण केंद्र सरकार को औद्योगिक उपयोग की ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन के लिए उपयोग करने की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए और यदि फ़िर भी यह ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं होती है तो इसका आयात करना चाहिए.
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल पा रहे है. ऑक्सीजन की कमी की भी ख़बरें आ रही हैं. साथ ही कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़ों में हेरफेर करने के आरोप भी योगी सरकार पर लग रहे हैं.
मध्य प्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज की घटना. कॉलेज के डीन का कहना है कि कोरोना मरीज़ों की मौत ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से हुई है या नहीं, अभी इसका पता नहीं लगाया जा सका है. मेडिकल शिक्षा मंत्री और शहडोल के ज़िलाधिकारी ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात से इनकार किया है.
बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल का मामला. राजद नेता तेजस्वी यादव ने अस्पताल के अधीक्षक का पत्र ट्विटर पर साझा कर नीतीश सरकार निशाना साधते हुए राज्य में कोविड-19 के ख़िलाफ़ बुनियादी सुविधाओं की कमी पर चिंता जताई है.
भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने सवाल उठाते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी. कृपया ध्यान दें. अप्रैल के प्रथम सप्ताह में महाराष्ट्र में 50,000 मरीज़ थे और ऑक्सीजन 457 मीट्रिक टन ख़र्च हुआ. वहीं, मध्य प्रदेश में 5,000 मरीजों पर 732 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ख़र्च क्यों हुआ?
बीते साल ऑक्सीजन हादसे की विभागीय जांच में दो आरोपों में मिली क्लीनचिट के बाद डॉ. कफ़ील ख़ान की बहाली की संभावनाएं बनी थीं, लेकिन सरकार ने नए आरोप जोड़ते हुए दोबारा जांच शुरू कर दी. मथुरा जेल में रिहाई के समय हुई हुज्जत यह इशारा है कि इस बार भी हुकूमत का रुख़ उनकी तरफ नर्म होने वाला नहीं है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पिछले साल दिसंबर में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी को डॉ. कफ़ील ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.