सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि अखबारों को इनकी प्रसारण संख्या के दावों की पुष्टि के बाद ही विज्ञापन दिए जाते हैं. उनके प्रसारण दावों की भारतीय समाचार पत्र पंजीयक से जांच कराई है.
मीडिया बोल की 59वीं कड़ी में उर्मिलेश एक समाचार चैनल की बहस में हुई हाथापाई, स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले और अविश्वास प्रस्ताव की मीडिया कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार शीबा असलम फ़हमी से चर्चा कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि भारत में रह रहे विदेशी पत्रकारों को कश्मीर जाने के लिए 8 हफ्ते पहले आवेदन करना होगा. गृह मंत्रालय द्वारा दी जाएगी मंज़ूरी.
इंदौर पुलिस के अनुसार, दैनिक भास्कर अख़बार में कार्यरत रहीं महिला पत्रकार के मुंबई स्थित फ्लैट पर छापा मारा गया लेकिन वह नहीं मिलीं. नीमच में परिवार और रतलाम में उनकी बहन से पूछताछ जारी.
हाल ही में संपन्न हुए फुटबॉल विश्वकप से भारत को क्या सबक सीखना चाहिए? मीडिया बोल की 58वीं कड़ी में उर्मिलेश इस विषय पर नवभारत टाइम्स के सीनियर असिस्टेंट एडिटर चंद्र भूषण और वरिष्ठ पत्रकार बिराज स्वैन से चर्चा कर रहे हैं.
12 जुलाई की रात जब कल्पेश याग्निक की मौत हुई तो इसका कारण दिल का दौरा बताया गया, लेकिन अब पुलिस आत्महत्या के एंगल को भी टटोल रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कल्पेश याग्निक की संदिग्ध आत्महत्या मामले की उचित जांच होगी.
अमर्त्य सेन कह चुके हैं कि भारतीय मीडिया तेज़ी से अमीरों का पक्षधर होता जा रहा है, बीते महीने हुए किसान आंदोलन की हिंदी अख़बारों में कवरेज सेन के कथन की पुष्टि करती है. आंदोलन के दौरान अख़बारों की चिंता किसानों की समस्याएं, उनकी दयनीय हालत और हालत के लिए ज़िम्मेदार लोगों के बजाय आंदोलन के चलते उत्पादों की बढ़ी कीमतें और इससे शहरों में हुई परेशानी रही.
मीडिया बोल की 57वीं कड़ी में उर्मिलेश दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत की मीडिया कवरेज पर वैज्ञानिक व शायर गौहर रज़ा और पत्रकार भाषा सिंह से चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया बोल की 56वीं कड़ी में उर्मिलेश आपातकाल और सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो को लेकर विपक्ष पर हमलावर हो रहे मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं.
हमारी राष्ट्रीय राजनीति और भाजपा कांग्रेस विरोधी आंदोलन यानी प्रतिरोध का ही नतीजा हैं, लेकिन इसके बारे में कोई बात नहीं करता. ख़ुद भाजपा भी नहीं. वे चाहते हैं कि हम इमरजेंसी के बारे में जानें लेकिन उतना, जितने से उन्हें नुकसान न पहुंचे.
सैन्य उपलब्धियों का चुनाव में इस्तेमाल करना न तो असामान्य है और न ही ग़लत, लेकिन सवाल उठता है कि एक मामूली रणनीतिक कार्रवाई को एक बड़ी सैन्य जीत के तौर पर पेश करना कितना सही है.
सरगुजा ज़िले के जमगला गांव निवासी पत्रकार राजेश गुप्ता ने गांव में नल-जल योजना के तहत हो रहे काम पर ख़बर की थी जिससे नाराज़ भाजपा सांसद कमलभान सिंह के बेटे देवेंद्र सिंह ने उनके घर पर हमला कर दिया.
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा नेताओं पर सवाल उठाती किसी ख़बर को न्यूज़ वेबसाइट्स ने बिना कारण बताए हटाया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि 1,000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन भारत में 11,082 की आबादी पर एक डॉक्टर है. देश में पांच लाख डॉक्टरों की कमी है. एम्स जैसे संस्थानों में पढ़ाने वाले डॉक्टर शिक्षकों की 70 फीसदी कमी है. इस हक़ीक़त पर पर्दा डालने के लिए योग का प्रोपेगैंडा करना ही होगा.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव की टीम का हिस्सा रहे शिवम शंकर सिंह कहते हैं, ‘मैं 2013 से भाजपा का समर्थक था क्योंकि नरेंद्र मोदी देश के लिए उम्मीद की किरण की तरह लगते थे और मुझे उनके विकास के नारे पर विश्वास था. अब वो नारा और उम्मीद दोनों जा चुके हैं.’