आईएलओ और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में बाल मज़दूरों की संख्या 16 करोड़ हो गई है. यह चेतावनी भी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 90 लाख और बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिए जाने का ख़तरा है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनिसेफ के रिपोर्ट के मुताबिक, दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं. इससे इस प्रथा को कम करने की वर्षों की प्रगति को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है. दुनिया में आज अनुमानित 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ है. इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राज़ील, इथियोपिया, भारत और नाइज़ीरिया में है.
यूनिसेफ के वैश्विक टीकाकरण अभियान के उप-प्रमुख ने कहा कि एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के कई ग़रीब और विकासशील देशों में परेशानियों का एक प्रमुख कारण हिंसा है, जहां कोविड-19 के ख़िलाफ़ टीकाकरण कार्यक्रम को चलाया जाना है.
यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का ख़तरा है. मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग यानी 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के चलते विभिन्न देशों में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से ढेर सारे बच्चों को अपने साथ दुर्व्यवहार करने वालों के साथ लगातार रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.
चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के अध्ययन के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका लगा है. हाल ही में यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस की वजह से वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण टीकाकरण अभियान सीमित कर देने से दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है और कोरोना वायरस के कारण 13 अन्य देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है.
यूनिसेफ ने 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019' नाम की अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के हर पांचवें बच्चे में विटामिन ए की कमी है, हर तीसरे बच्चे में से एक को विटामिन बी 12 की कमी है और हर पांच में से दो बच्चे खून की कमी से ग्रस्त हैं.
बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, तीन देशों- फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया में पांच साल से कम उम्र के औसतन 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जबकि इस मामले में वैश्विक औसत तीन में से एक बच्चे के कुपोषित होने का है.
पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री ने यूनिसेफ को लिखे पत्र में जम्मू कश्मीर में की गई कार्रवाई पर प्रियंका चोपड़ा के कट्टर राष्ट्रवाद और समर्थन का हवाला देते हुए कहा कि यूनिसेफ को तुरंत उन्हें अपने दूत के पद से हटाना चाहिए, नहीं तो शांति के लिए सद्भावना दूत जैसी नियुक्तियां विश्वभर में एक तमाशा बनकर रह जाएंगी.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर और असम के प्रमुख समाचार.
सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध रूप से आए सात रोहिंग्याओं को उनके मूल देश म्यांमार भेजने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ का कहना है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के गांवों में अब भी हमले हो रहे हैं.