आपातकाल की चर्चा तब तक पूरी नहीं होती जब तक स्वाधीनता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा न की जाए.
बसपा सुप्रीमो ने कहा भाजपा सरकार ने दूरदर्शन और आकाशवाणी को बना दिया 'मोदी वॉयस', निजी मीडिया पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण, लेखकों और पत्रकारों को बनाया जा रहा निशाना.
अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.
संघ प्रमुख ने कहा, उनका संगठन ट्रोलिंग और इंटरनेट पर आक्रामक आचरण का समर्थन नहीं करता क्योंकि यह गरिमा के अनुकूल नहीं होते हैं.
संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू धर्म के दरवाजे सभी के लिए आज भी खुले हुए हैं, क्योंकि हम यह मानते हैं कि हम सबके पूर्वज हिंदू ही हैं.
अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के चार दिन बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, कांग्रेस-भाजपा में छिड़ी तकरार, राज्य ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी.
आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान का कहना है, यूपीए सरकार भले ही अयोग्य रही हो, वह इन समूहों की विचारधारा से इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी, लेकिन वर्तमान सत्ता को इन्हीं समूहों से समर्थन मिलता है.
वर्ष 2002 में नरेंद्र मोदी के पहले राजनीतिक चुनाव प्रचार ने सबकुछ बदल दिया. पहली बार किसी पार्टी के नेता और उसके मुख्य चुनाव प्रचारक ने मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरा प्रचार अभियान चलाया.
साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में आठ ग़ैर भाजपाई दलों ने साधा नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना.
भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना विकास और रोज़गार संभव नहीं है.
बसपा प्रमुख मायावती ने सवाल किया, भाजपा शासित राज्यों में गायों की भूख से तड़पकर मौत हो रही है, संघ जवाब क्यों नहीं मांगता?
एक जीवंत लोकतंत्र में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत किसी राजनेता का करिअर ख़त्म कर सकता था, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता.
भारत छोड़ो आंदोलन के बाद ब्रिटिश सरकार ने खुशी व्यक्त करते हुए लिखा कि संघ ने पूरी ईमानदारी से ख़ुद को क़ानून के दायरे में रखा, ख़ासतौर पर अगस्त, 1942 में भड़की अशांति में वो शामिल नहीं हुआ.
संघ के सरसंघचालक ने कहा कि जब तक भारत में धर्म का एक अंश भी ज़िंदा है, दुनिया की कोई भी ताकत देश को नुकसान नहीं पहुंचा सकती.