6 नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरता से लागू करने और यह सुनिश्चित करने पर रज़ामंदी हुई है कि सीमा पर तैनात बल संयम बरतें एवं ग़लतफ़हमी से बचें.
एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे. शुक्रवार को ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता हुई.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा था कि देश में कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चल रहे हैं क्योंकि यह वैसे लोगों को अलग करने के लिए जरूरी है, जिनकी सोच में चरमपंथ जड़ जमा चुका है. केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने रावत की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि सेना लंबे समय से कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चला रही है.
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में कहा कि घाटी में चरमपंथ से निपटने के लिए सबसे पहले यह विचारधारा फैलाने वालों की पहचान करके उन पर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. चरमपंथ से प्रभावित बच्चों को बाकी बच्चों से अलग किया जाना चाहिए.